नई दिल्ली, 21 जुलाई 2025: भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस ने वैश्विक स्तर पर अपनी धमक दिखाई है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर किए गए सटीक हमलों ने इस मिसाइल की ताकत को दुनिया के सामने ला दिया। अब 15 देश भारत से इस अत्याधुनिक मिसाइल को खरीदने के लिए उत्सुक हैं।
पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर मची तबाही
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान के सरगोधा जिले में स्थित किराना हिल्स को निशाना बनाया, जो पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम का अहम केंद्र माना जाता है। जून 2025 में गूगल अर्थ की ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि इस हमले में किराना हिल्स को भारी नुकसान हुआ। तस्वीरों में सरगोधा एयरबेस की हवाई पट्टी को रिपेयर किए जाने के निशान भी दिखाई दिए। किराना हिल्स में अंडरग्राउंड हथियार भंडारण और परमाणु अनुसंधान केंद्र होने की संभावना है, जहां 1980 के दशक में सबक्रिटिकल परमाणु परीक्षण किए गए थे।
ब्रह्मोस की वैश्विक मांग
भारत ने अब तक केवल फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात की है। जनवरी 2022 में 375 मिलियन डॉलर के सौदे के तहत फिलीपींस को अप्रैल 2024 और अप्रैल 2025 में दो बैटरी सौंपी गईं। तीसरी बैटरी जल्द ही दी जाएगी। अब इंडोनेशिया 200-350 मिलियन डॉलर के सौदे के लिए उन्नत ब्रह्मोस संस्करण पर बातचीत कर रहा है, जबकि वियतनाम 70 करोड़ डॉलर के सौदे की तैयारी में है। इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना और वेनेजुएला जैसे देश भी इस मिसाइल को खरीदने के इच्छुक हैं।
लखनऊ में अत्याधुनिक उत्पादन इकाई
उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ नोड पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस की नई इंटीग्रेशन और टेस्टिंग फैसिलिटी शुरू हो चुकी है। 300 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह यूनिट प्रतिवर्ष 80-100 ब्रह्मोस मिसाइलें और 100-150 अगली पीढ़ी की हल्की मिसाइलें बनाएगी। नई मिसाइल का वजन 1,290 किग्रा और रेंज 300 किमी से अधिक होगी, जिससे सुखोई जैसे लड़ाकू विमान तीन मिसाइलें ले जा सकेंगे। यह मिसाइल भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के संयुक्त उद्यम द्वारा विकसित की गई है, जो 2.8 मैक की गति और “फायर एंड फॉरगेट” सिस्टम के साथ सटीक हमले की क्षमता रखती है।
वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की बढ़ती ताकत
ब्रह्मोस की बढ़ती मांग भारत के रक्षा निर्यात में उछाल का संकेत है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइल भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रही है।