हिंदी भाषा की शुरुआत भारत से हुई है लेकिन आज हिंदी को पूरे विश्व में पहचान मिल चुकी है। हिंदी का वैश्विक तौर पर प्रचार करने के लिए ही विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। आजादी के बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने फैसला लिया था कि हिन्दी भारत की राजभाषा होगी। इस निर्णय के बाद ही हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने के लिए हर साल हिन्दी दिवस मनाया जाता है।

विश्व भाषा बनाने के लिए हिंदी को चाहिए 129 देशों का समर्थन
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली राज्यों की हिन्दी राजभाषा भी है। राजभाषा बनने के बाद हिन्दी ने विभिन्न राज्यों के कामकाज में आपसी लोगों से संपर्क स्थापित करनें का अभिनव कार्य किया है। लेकिन विश्व भाषा बनने के लिए हिन्दी को अब भी दुनिया के 129 देशों के समर्थन की आवश्यकता है। भारत सरकार इस दिशा में तेजी से कार्य कर रही है, उससे यह संभावनाएं जता सकते हैं कि शीघ्र ही हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा में शामिल कर लिया जायेगा।
एकता बनाए रखने में अहम योगदान
हिन्दी प्रेम, मिलन और सौहार्द की भाषा है। यह मुख्य रूप से आर्यों और पारसियों की देन है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से हिन्दी और देवनागरी के मानकीकरण की दिशा में अनेक क्षेत्रों में प्रयास हुये हैं। हिन्दी के विकास में अनेक लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। हिन्दी भारत की सम्पर्क भाषा भी हैं। अतः हम कह सकते है की हिन्दी एक समृद्ध भाषा हैं। भारत की राष्ट्रीय एकता को बनाये रखने में हिन्दी भाषा का बहुत बड़ा योगदान हैं।
क्या है इस दिन का इतिहास
भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी। उसके बाद से भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया था। प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मना रहे हैं। इस दिवस को मनाने का मूल उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिलवाना है।
हो रहा है हिंदी का विस्तार
चीनी भाषा के बाद हिन्दी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली दूसरी सबसे बड़ी भाषा है। भारत और अन्य देशों में 70 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। पाकिस्तान की तो अधिकांश आबादी हिंदी बोलती व समझती है। बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, अफगानिस्तान में भी लाखों लोग हिंदी बोलते और समझते हैं। फिजी, सुरिनाम, गुयाना, त्रिनिदाद जैसे देश तो हिंदी भाषियों द्वारा ही बसाए गयें हैं। एक तरह से देखें तो पूरी दुनिया में हिंदी भाषियों की संख्या लगभग सौ करोड़ है।
समर्थ भाषा है हिंदी
हिन्दी के ज्यादातर शब्द संस्कृत, अरबी और फारसी भाषा से लिए गए हैं। इस कारण हिन्दी अपने आप में एक समर्थ भाषा है। जहां अंग्रेजी में मात्र 10,000 मूल शब्द हैं, वहीं हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या 2 लाख 50 हजार से अधिक है। 10 जनवरी 1975 को नागपुर मे प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित हुआ था। इसीलिए प्रतिवर्ष 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है। 1975 के बाद से ही विश्व मे हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनो की शुरुआत की गई थी। हिन्दी आज विश्व भाषा बनने की दिशा में अग्रसर है।
प्रधानमंत्री के प्रयासों से विस्तरित होती हिंदी
नरेन्द्र मोदी जब से देश के प्रधानमंत्री बने हैं उसके बाद से हिन्दी का बोलबाला बढ़ा है। प्रधानमंत्री देश दुनिया में हर जगह हिन्दी भाषा में ही अपना भाषण देते हैं। उनके कारण अन्य मंत्रीगण व अधिकारी भी हिन्दी के प्रयोग को प्राथमिकता देने लगे हैं। हिन्दी विरोधी माने जाने वाले दक्षिण भारत के प्रदेशों की यात्रा में भी प्रधानमंत्री जनसभाओं को हिन्दी भाषा में ही सम्बोधित करते हैं। हालांकि लोगों को समझाने के लिये अनुवादक उसका स्थानीय भाषा में अनुवाद करता रहता है। प्रधानमंत्री के प्रयासों से जिस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग दिवस को मान्यता प्रदान की उसी तरह से आने वाले समय में हिन्दी को वैश्विक भाषा की मान्यता मिल जायेगी।