नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में शनिवार को भले ही ताजा हिमपात हुआ हो। इसके चलते श्रीनगर-लेह राजमार्ग को बंद हो गया हो। निचले इलाकों में बारिश हुई हो। वहीं दौलत बेग ओल्डी (डीओबी) सेक्टर में शुक्रवार रात बर्फबारी होने से लद्दाख में 1,597 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तापमान शून्य डिग्री से नीचे चला गया हो। मगर कोई फर्क नही पडा भारतीय सेना के सैनिको पर। सभी फ्रिक्शन एरिया में अपनी स्थिति से एक इंच भी हटे नहीं हैं। इस साल मई महीने से ही भारतीय सेना के जवान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सामने डटकर खड़े हैं।
कड़ाके की ठंड में भी जमीन पर सेना की स्थिति या भारतीय कवच में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कुछ रिपोर्टों में ऐसा अनुमान लगाया गया है कि भारत और चीन दोनों ने फ्रिक्शन प्वाइंट्स पर गश्त करने वाले क्षेत्रों से सैनिकों को हटाने का फैसला किया है। मौसम के कहर को देखते हुए भारतीय सैनिकों को स्नो टेंट और इग्लू में रखा गया है जो एलएसी के पार कंटेनर में रहते हैं। भारतीय सेना पूरी तरह से विशेष बलों के साथ एलएसी पर तैनात होने के साथ ही सीमा सड़क संगठन ने सभी उच्च पर्वतीय दर्रों ”मार्सिमिका ला (हॉट स्प्रिंग्स के पास 18314 फीट), चांग ला (पंगु त्सो के लिए सड़क पर 17585 फीट) और खारदुंग ला (17582 फीट, सड़क पर डीबीओ)” पूरी सर्दियों में सेना की आवाजाही के लिए खुला है।
टॉप स्तर के सेना के एक कमांडर ने कहा, ‘भारत और चीन के बीच अभी भी सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत जारी है। जिससे पता चलता है कि फ्रिक्शन प्वाइंट्स पर गश्त करने वाले क्षेत्रों से सैनिकों को हटाने का फैसला केवल अटकलें हैं। भारतीय सैनिकों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया गया है और जवान पीएलए एवं खराब मौसम से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं। एक पूर्व सेना प्रमुख और एक शीर्ष स्तर के राजनयिक ने कहा कि LAC पर सफलता आसानी से हासिल नहीं होगी। क्योंकि दोनों पक्ष एक दूसरे की क्षमता और मौसम के खिलाफ खड़े होने की दक्षता का परीक्षण कर रहे हैं। यह एक बहुत ही चौकन्ना रहने वाला खेल है जिसमें पलक झपकते ही हार और जीत का फैसला होता है।