वाराणसी. उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद आई जल तबाही ने एक बार फिर से 2013 की उस त्रासदी की याद ताजा कर दी जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी. घटना को लेकर पूरे देश में शोक का माहौल बना हुआ है. वहीं इस आपदा को लेकर गंगा महासभा ने पूर्व और वर्तमान सरकार पर बड़े आरोप लगाए हैं. गंगा महासभा के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने अपना बयान जारी कर कहा है की पूर्व और वर्तमान की सरकारों की लापरवाही के कारण यह घटना हुई है.
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने पीड़ित परिवारों के प्रति शोक जाहिर करते हुए कहा कि 2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद यह सबसे बड़ी तबाही है. चमोली जिले में धौलीगंगा नदी में ग्लेशियर के फटने और हिमस्खलन के कारण आई बाढ़ के सामने बांध, गाड़ियां और मनुष्य जो सामने पड़े तिनके की तरह सैलाब में बह गए. उन्होंने बताया कि गंगा महासभा पहले भी कई बार उत्तराखंड में बन रहे बांधों को लेकर चेतावनी दे चुकी है. इसके साथ ही वैज्ञानिकों और संतों ने बार बार चेताया है, लेकिन इसके बावजूद सरकारों ने बांधों का काम जारी रखा.
टिहरी बांध को बताया था टाइम बम
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि प्रोफेसर शिवाजीराव ने 2002 में ही टिहरी बांध को टाइम बम कहा था. समय आ गया है अब भी टिहरी बांध को सही कर लें, क्योंकि उसका भी समय पूरा हो गया है. ऐसा ना हो कि यह बांध इंसानों के ऊपर कलंक साबित हो जाए. गंगा महासभा ने लगातार पूरे उत्तराखंड में बन रहे बांधों को लेकर के चेताया लेकिन उत्तराखंड में सरकारों को चाहे वह पहले की सरकार हो चाहे अब कि उन्हें बांधों से मिलने वाले कमीशन की चिंता थी, लेकिन उत्तराखंड में रहने वाले लोगों की चिंता नहीं थी.