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Friday, June 27, 2025

स्वदेशी सैन्य विमानन सेवा में अबतक का सबसे बड़ा सौदा, इस डील के बारे मे जानें खासबात

स्वदेशी रक्षा उद्योग में भारतीय वायुसेना और ​’आत्मनिर्भर भारत’​ के लिए आज का दिन तब ​और ज्यादा ​ऐतिहासिक हो गया, जब ​बुधवार को​ बेंगलुरु में एयरो इंडिया-2021 ​के दौरान ​हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (​​एचएएल) के​ साथ ​​83 ​​तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट के सौदे ​पर हस्ताक्षर हो गए​।​ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2 फरवरी को ही बेंगलुरु में तेजस की नई प्रोडक्शन यूनिट का उद्घाटन किया था​। स्वदेशी सैन्य उड्डयन सेवा में ​यह ​अबतक का सबसे बड़ा सौदा ​है। ​एचएएल से ​की गई यह डील ​​​’टू फ्रंट वार’ की तैयारियां कर रही भारतीय वायुसेना ​को नई आसमानी लड़ाकू ताकत देगी और भविष्य में यह भारतीय वायुसेना का रीढ़ साबित होगा।

83 तेजस एमके-1ए के लिए 48 हजार करोड़ का सौदा

​एयरो इंडिया शो में रक्षा मंत्रालय ​ने ​​83 एलसीए तेजस लड़ाकू विमानों का अनुबंध ​हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंपा​​। रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने भारतीय वायुसेना के लिए 83 स्‍वदेशी तेजस लड़ाकू विमान के एमके-1ए वर्जन की खरीद के लिए मार्च​, 2019 ​में मंजूरी दी थी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन एवं विमान विकास एजेंसी ने 2015 में उन्नत तेजस एमके-1ए के लिए वायुसेना के सामने प्रस्ताव रखा था। हालांकि, शुरुआत में एचएएल ने एक एमके-1ए विमान की कीमत 463 करोड़ तय की थी जिसे वायुसेना ने बहुत अधिक माना। कई महीनों की बातचीत के बाद एचएएल ने 83 एमके-1ए और 10 एमके-1 ट्रेनर जेट की एक यूनिट का मूल्य कम करने पर सहमति जताई। प्रधानमंत्री नरेंद्र की अगुवाई वाली सीसीएस ने​ 13 जनवरी को इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ 83 तेजस एमके-1ए के लिए 48 हजार करोड़ के सौदे को मंजूरी दे दी है।

500 भारतीय कंपनियों को होगा फायदा

तेजस ​की इस ​डील से करीब 500 भारतीय कंपनियों को फायदा होगा जो विमान के अलग-अलग पुर्जे देश में ही बनाएंगी। इस खरीद से ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अंतर्गत विमान विकास एजेंसी (एडीए) ने इस​ विमान ​का स्वदेशी डिजाइन तैयार किया है। इसका निर्माण ​​हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के अतिरिक्‍त कई अन्‍य स्‍थानीय निर्माताओं के सहयोग से किया ​जाना ​है। ​रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ​02 फरवरी को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की बेंगलुरु यूनिट में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) का उत्पादन करने के लिए नये प्लांट का उद्घाटन किया।​ कई देशों ने तेजस एम-1ए की खरीद में दिलचस्पी दिखाई है और ​रक्षा मंत्री ने जल्द ​ही विदेशों से तेजस एम-1ए खरीदने के ऑर्डर ​मिलने की उम्मीद जताई है​। ​

तेजस एमके-1ए का सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर तैयार

​​एचएएल के सीएमडी ने कहा है कि​ ​​तेजस एमके-1ए में डिजिटल रडार चेतावनी रिसीवर, एक बाहरी ईसीएम पॉड, एक आत्म-सुरक्षा जैमर, एईएसए रडार, रखरखाव में आसानी और एविओनिक्स, वायुगतिकी, रडार में सुधार किया गया है। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने तेजस एमके-1ए का सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर तैयार कर लिया है। इसमें उन्नत शॉर्ट रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (एएसआरएएएम) और एस्ट्रा एमके-1 एयर टू एयर मिसाइल लगाईं जाएंगी। ​​​तेजस एमके-1 ए के 20 विमान प्रति वर्ष वायुसेना को मिलेंगे। तेजस एमके-1ए की आपूर्ति 2023 से शुरू होगी और 2027 तक पूरे 83 विमान वायुसेना को मिल जाएंगे। इनमें 73 तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमान और 10 ट्रेनर विमान होंगे। ​एचएएल ने पहले ही अपने नासिक और बेंगलुरु डिवीजनों में दूसरी पंक्ति की विनिर्माण सुविधाएं स्थापित की हैं।​

40 विमानों में होंगे 43 तरह के सुधार

इन 40 विमानों में एलसीए एमके-1ए के मुकाबले 43 तरह के सुधार किये जाने हैं। इनमें हवा से हवा में ईंधन भरने, लंबी दूरी की बियांड विजुअल रेंज मिसाइल लगाने, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए दुश्मन के रडार और मिसाइलों को जाम करने के लिए सिस्टम लगाया जाना है। इन 123 तेजस एमके-1 और तेजस एमके-1ए की 6 स्क्वाड्रन बनाई जानी हैं। भारतीय वायुसेना ने तेजस के लिए दो स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग डैगर्स’ और ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ बनाई हैं। तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों की पहली स्क्वाड्रन गुजरात के नलिया और ​दूसरी ​राजस्थान के फलौदी एयरबेस में बनेगीं। ये दोनों सीमाएं पाकिस्तान सीमा के करीब हैं।

भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सौदा भारतीय रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए एक गेम चेंजर होगा। एलसीए तेजस आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बनने जा रहा है। एलसीए तेजस में बड़ी संख्या में नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं, जिनमें से कई का प्रयास भारत में कभी नहीं हुआ। एलसीए तेजस की स्वदेशी सामग्री एमके-1ए संस्करण में 50% है जिसे 60% तक बढ़ाया जाएगा। ​यह प्रोजेक्ट भारतीय एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को एक जीवंत आत्मनिर्भर इकोसिस्टम में बदलने के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा।

2030 तक 8 और स्क्वाड्रन बढ़ाने का फैसला

भारतीय वायुसेना की एक स्क्वाड्रन 16 युद्धक विमानों और पायलट ट्रेनिंग के दो विमानों से मिलकर बनती है। मौजूदा समय में भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की 30 स्क्वाड्रन हैं जबकि ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के लिहाज से कम से कम 38 स्क्वाड्रन होनी चाहिए। इसलिए वायुसेना ने 2030 तक 8 और स्क्वाड्रन बढ़ाने का फैसला लिया है। यानी वायुसेना के पास फिलहाल 144 लड़ाकू विमानों की कमी है। नई बनने वाली 8 स्क्वाड्रन का 75 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी एलसीए और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट से पूरा किया जाना है। एलसीए एमके-1 के 40 विमानों को पहले ही वायुसेना में शामिल किये जाने की प्रारंभिक और अंतिम परिचालन मंजूरी मिल चुकी है जिनका ऑर्डर पहले ही एचएएल को दिया जा चुका है। इनमें से 18 विमान मिल चुके हैं और वायुसेना की सेवा में है |

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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