मेरठ में करोड़ों रुपये कि स्टांप घोटाला सामने आया है।
अब तक 997 केस सामने आ चुके हैं, जिनमें से सभी पर मुकदमा दर्ज कर प्रशासन ने पीड़ितों को रिकवरी के नोटिस भेजे हैं। यह मामला तब प्रकाश में आया जब पीड़ितों को पता चला कि उनके बैनामे के लिए इस्तेमाल किए गए स्टांप फर्जी थे।
पीड़ितों ने बताया कि वे इस बात से अनजान थे कि उनके बैनामे फर्जी स्टांप पर हुए हैं। इनमें से अधिकांश बैनामे एक ही अधिवक्ता विशाल वर्मा द्वारा तैयार किए गए थे। विशाल वर्मा ने सभी पीड़ितों को स्टांप उपलब्ध कराए थे। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि स्टांप घोटाले का मास्टरमाइंड विशाल वर्मा है, जिसने इन स्टांप को गलत तरीके से तैयार किया और उपयोग में लिया। पीड़ितों का कहना है कि उनकी गलती के बिना प्रशासन अब उनसे रिकवरी कर रहा है। उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कर रहा है।
डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन
सैकड़ों पीड़ित शनिवार को जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे और न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने डीएम से रिकवरी नोटिस वापस लेने और मुख्य आरोपी विशाल वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। डीएम ने सलाह दी कि वे खुद विशाल वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएं। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन भी मामले की जांच कर रहा है।
व्यापार मंडल का पीड़ितों को समर्थन
मेरठ व्यापार मंडल ने इस घोटाले के खिलाफ पीड़ितों का समर्थन किया है। मंडल के अध्यक्ष शैंकी वर्मा ने दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब तक घोटाले की जांच पूरी नहीं होती, पीड़ितों से वसूली बंद की जानी चाहिए।