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Monday, December 23, 2024

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट: सरकार का दावा नई संसद से सालाना 1000 करोड़ रुपये बचेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को नए संसद भवन के निर्माण के लिए भूमिपूजन कर आधारशिला रख दी है। प्रधानमंत्री द्वारा भूमि पूजन किए जाने के साथ ही 25 हजार करोड़ के सेंट्रल विस्टा नाम से चल रहे प्रोजेक्ट के तहत बनने वाली 971 करोड़ रुपए लागत की नई पार्लियामेंट बिल्डिंग की शुरुआत हो गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी इसके निर्माण कार्य पर रोक लगा रखी है। इस निर्माण कार्य को रुकवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं।

सेंट्रल विस्टा मामले में विपक्ष भी हमलावर है। आरोप है कि बजट की कमी के चलते राज्यों को जीएसटी का पैसा नहीं मिला है। स्वास्थ्य बजट में 15 फीसदी की कटौती की गई है। इसके अलावा कई तरह की कटौतियां की गई हैं। इसके बावजूद सरकार अपने लिए ‘महल’ खड़ा कर रही है।


मौजूदा संसद की इमारत 100 साल पुरानी

भवन के निर्माण के पक्ष में भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि मौजूदा संसद की इमारत 100 साल पुरानी है। इसमें अब सुरक्षा संबंधी समस्याएं हैं। जगह की कमी है। ये इमारत भूकंपरोधी भी नहीं है। इसमें आग लगने से बचाव संबंधी सुरक्षा मापदंडों का भी अभाव है। इसके व्यावहारिक पक्ष को भी ध्यान में रखा गया|
इससे सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपए के अलग-अलग कई खर्चे बंद हो जाएंगे। बहरहाल पक्ष-विपक्ष के तर्कों के बावजूद यह पूरा प्रोजेक्ट विवादों में आ गया है। इसका निर्माण कार्य अब सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं के फैसलों पर टिका हुआ है। 

जरूरत क्यों है नई संसद की?

मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। साथ ही 2026 में लोकसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन का काम शेड्यूल्ड है। इसके बाद सदन में सांसदों की संख्या बढ़ सकती है। बढ़े हुए सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है।इसके अलावा संविधान के आर्टिकल-81 में हर जनगणना के बाद सीटों का परिसीमन मौजूदा आबादी के हिसाब से करने का नियम था, लेकिन 1971 के बाद से नहीं हुआ। 2021 में मौजूदा बिल्डिंग के निर्माण कार्य के 100 साल पूरे होने वाले हैं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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