सर्दियों में प्यास कम ही महसूस होती है। ऐसे में लोग सोचते हैं कि उनके शरीर को ज्यादा मात्रा में पानी की जरूरत नहीं। हालांकि, ऐसा मानकर वे अपनी किडनी सहित अन्य अंगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ न्यूट्रीशन के हालिया अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक पानी का सेवन घटाने पर डिहाइड्रेशन की शिकायत पनप सकती है। डिहाइड्रेशन शरीर में सोडियम और पोटैशियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट के स्तर में कमी लाता है। ये तत्व कोशिकाओं के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान में अहम भूमिका निभाते हैं। इससे मांसपेशियों में खिंचाव, कमजोरी, चक्कर, सिरदर्द, बेचैनी और चिड़चिड़ेपन की समस्य सता सकती है। डिहाइड्रेशन याददाश्त, एकाग्रता और तर्क शक्ति के लिए भी घातक है।
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि जब शरीर में पानी की कमी होती है तो कोशिकाएं मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस भाग को वैसोप्रेसिन हार्मोन का स्त्राव बढ़ाने का संकेत देती हैं। यह हार्मोन ‘एंटीडायुरेटिक हार्मोन (एडीएच)’ के नाम से जाना जाता है।
एडीएच किडनी को खून की छनाई के दौरान कम मात्रा में पानी अलग करने का संदेश देता है। इससे हानिकारण तत्व शरीर से बाहर नहीं निकल पाते और व्यक्ति को गाढ़े रंग की या कम पेशाब होने की शिकायत सताती है। पानी कम पीने पर किडनी को खून की छनाई में ज्यादा मेहनत भी करनी पड़ती है। इससे उसकी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ जाता है।