आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने कृषि उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए क्लस्टर बेस्ड मार्केटिंग की बात कही थी। आपको बता दें कि क्लस्टर मॉडल पहले से ही काफी सफल रहा है। बात अगर कपड़ा उद्योग में जुटे कारीगरों और कामगारों की करें तो शिल्प संकुलों (क्लस्टर) के माध्यम से इनकी आमदनी को बढ़ाने के अभूत्पूर्व प्रयास किए जा रहे हैं। देश भर में अब तक 65 शिल्प संकुलों को सरकार अपना चुकी है, जिनसे 1 लाख से अधिक कारीगर लाभान्वित हो चुके हैं।
लोकसभा में इस बात की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि सरकार ने देशभर में मेंटरशिप विकास कार्यक्रम के तहत 65 एक्टिव शिल्प संकुलों (कलस्टरों) को अपनाने की पहल की है। इन समूहों को वर्ष 2019-2020 और 2020-21 के दौरान इन क्लस्टरों में जरूरत के आधार पर बदलाव के लिए सहायता प्रदान की गई है। साथ ही 3 वर्ष की समयावधि में इन समूहों के स्वयं सहायता समूहों / कारीगरों को आत्मनिर्भरता प्रदान करना है। ताकि आय के स्रोत के साथ जुड़ सकें।
शिल्पकारों के समूहों का वर्गीकरण
इन समूहों के चुनाव को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कारीगरों के समूह 14 जिलों से हैं, जिनमें 16 महिला कारीगरों के समूह हैं, 11 ओबीसी और सामान्य कारीगरों के समूह, 11 अनुसूचित जाति के कारीगरों के समूह, एसटी कारीगरों के 9 समूहों और जीआई (भौगोलिक संकेत) के 4 क्लस्टर हैं। इसके अलावा, 145 मौजूदा समूहों का वित्तीय लाभ बढ़ाया गया। इन कारीगरों के लिए 2020-21 में 6,70,57,500 बजट स्वीकृत किया जा चुका है।
मेंटरशिप विकास कार्यक्रम के तहत जुड़े लाभार्थियों की संख्या
मेंटरशिप विकास कार्यक्रम के तहत 2018-19 में 49737 लाभार्थी, 2019-20 में 10630 लाभार्थी, 2020-21 में 40570 लाभार्थी जुड़े हैं और अब तक कुल समूहों के 1,00,937 लाभार्थी इस योजना से जुड़े चुके हैं, जिनमें 85082 सामान्य/ओबीसी वर्ग के और 15855 अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति के हैं।
वहीं राज्यों की बात करें तो सबसे अधिक
महाराष्ट्र- 11349 लोग लाभान्वित हुए जिनमें 10049 सामान्य/ओबीसी वर्ग के हैं और 1300 लोग अनुसूचित जाति एवं जनजाति के हैं। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश से 10090, गुजरात से 8100, मध्य प्रदेश से 7200, असम से 6200 लोग और जम्मू एंड कश्मीर 5770 जुड़े।
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि सरकार की ओर से बंद किए गए समूहों का भी मूल्यांकन किया जा रहा है। सरकार, देशभर में कारीगरों के अधिकाधिक लाभ और उनके समग्र विकास के लिए, निरंतर एक्टिव शिल्प समूहों (कलस्टरों) पर कार्य कर रही है।जिससे देश के ज्यादा से ज्यादा शिल्पकार जुड़ सकें और उन्हें फायदा हो।
गौरतलब हो कि सरकार इसी दिशा में हुनर हाट और दिल्ली हाट जैसी योजनाएं चलाई जा रही है। जिसमें देश भर के कामगार और हुनरमंद अपने हुनर की प्रदर्शनी लगाते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक ‘हुनर हाट’ के माध्यम से पिछले छह वर्षों के दौरान 5 लाख से अधिक कारीगरों, शिल्पकारों और उनसे जुड़े लोगों को रोजगार तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए हैं।