केन्द्र सरकार ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों को बुधवार को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है ताकि इस मुद्दे पर जारी गतिरोध खत्म किया जा सके। सरकार और किसानों के बीच गतिरोध दूर करने के लिए यह छठे दौर की बातचीत होगी। सरकार ने विरोध प्रदर्शन कर रहे चालीस किसान संगठनों को पत्र लिखकर बातचीत के लिए बुलाया है। कृषि कानूनों के अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य और वायु गुणवत्ता तथा बिजली संबंधी कानूनों पर भी चर्चा होगी।
सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच आखिरी औपचारिक बैठक 5 दिसंबर को हुई थी, जिसमें यूनियन नेताओं ने तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मुख्य मांग पर सरकार से स्पष्ट ‘हां या नहीं’ में जवाब देने की मांग की थी। सरकार को अपने 26 दिसंबर के पत्र में, किसान यूनियनों ने बातचीत फिर से शुरू करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि कृषि कानूनों को निरस्त करना और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देना एजेंडा का हिस्सा होना चाहिए। हालांकि, संगठनों को अपने नवीनतम पत्र में, केंद्र ने कानूनों को निरस्त करने के लिए कोई विशेष संदर्भ नहीं दिया है।
अब तक, केंद्र और 40 प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच पांच दौर की औपचारिक बातचीत अनिर्णायक रही। 9 दिसंबर को होने वाली बातचीत का छठा दौर गृह मंत्री अमित शाह की अनौपचारिक बैठक के एक दिन बाद बुलाया गया, बाद मे इसे रद्द कर दिया गया था। हालांकि, सरकार ने यूनियनों को एक मसौदा प्रस्ताव भेजा था, जिसमें उसने नए कानूनों में 7-8 संशोधन करने और एमएसपी खरीद प्रणाली पर लिखित आश्वासन देने का सुझाव दिया था।
हजारों किसान, विशेषकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में, एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाए हुए हैं और उन्होंने कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की है और उनकी मांग पूरी नहीं होने पर उनकी हलचल तेज करने की धमकी दी है।
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