केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौर के बाद से ही मध्यप्रदेश के राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। शाह ने जहां राजधानी में सीएम चौहान से लेकर संघ के पदाधिकारियों से वन-टू-वन चर्चा कर प्रदेश की सियासी नब्ज टटोली। वहीं कैलाश-सिंधिया की मुलाकात को नए प्रदेश की सियासत में नए समीकरण के तौर पर देखा जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री शाह के भोपाल दौरे के पहले से ही माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा प्रदेश में कोई बड़ा कदम उठाने वाली है। शाह के दौरे के ठीक पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत भी भोपाल आए थे। जानकार इसे भी सियासत से जोड़कर देख रहे हैं, क्योंकि इन दौरों के बाद ही संसदीय बोर्ड में नौ साल से जमे एकमात्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को हटा दिया गया था
केवल चार बड़े नेताओं से मिले शाह
अमर उजाला को मिली जानकारी के अनुसार, मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शामिल होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदेश के सभी बड़े नेताओं के साथ वन टू वन चर्चा की। पहले उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ लगभग आधे घंटे तक मीटिंग की। इसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान से भी चर्चा की। संगठन मंत्री हितानंद शर्मा से भी अलग से बात की। शाह ने राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को भी अलग से समय दिया।
इस दौरान शाह ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए फीडबैक लिया। इसके पहले भी शाह जब अप्रैल में भोपाल आए थे, तब उन्होंने संगठन की बजाय सत्ता में शामिल नेताओं से बात की थी। इस बार उन्होंने सिर्फ प्रदेश के चार बड़े नेताओं से ही मुलाकात की है। पहली बार अमित शाह भोपाल में 20 घंटे तक रुके हैं। प्रदेश में आने वाले दिनों संगठन में बदलाव की चर्चा जोरों पर है। इसके साथ ही निगम मंडलों में कुछ नियुक्तियां लटकी हैं, उसे लेकर भी चर्चाएं हुई हैं। निकाय चुनाव में हार के कारणों पर भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी नेताओं से चर्चा की है।
15 दिन में दो बार आए भागवत और शाह
संघ प्रमुख मोहन भागवत भोपाल में 2 से 7 अगस्त तक विश्व संघ शिक्षा वर्ग के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इसके बाद 22 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भोपाल दौरे पर आए। ऐसा दूसरी बार हुआ, भागवत के बाद शाह भोपाल आए। इससे पहले संघ प्रमुख 16 और 17 अप्रैल को अखिल भारतीय चिंतन बैठक में शामिल हुए थे। जबकि 5 दिन बाद 22 अप्रैल को अमित शाह भोपाल दौरे पर आए थे। इसके चार महीने बाद ही शिवराज संसदीय बोर्ड से बाहर हो गए।
शिवराज-नरोत्तम की जमकर की तारीफ
दरअसल, सीएम शिवराज सिंह चौहान के संसदीय बोर्ड से बाहर होने के बाद प्रदेश में कई तरह की अटकलें चल रही हैं। साथ ही यह भी चर्चा है कि 2023 में भाजपा किसी नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। इस बीच सीएम ने जमकर गृह मंत्री की तारीफ की है। इसके साथ ही उन्होंने अभी बदलाव के अटकलों पर विराम लगा दिया है।
इस दौरे पर शाह ने मध्यप्रदेश सरकार के कार्यों की तारीफ करते हुए कहा कि नक्सलवाद को समाप्त किया गया है। कानून व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन लाने का कार्य शिवराज सरकार ने किया है। एक जमाने में मालवा सिमी का गढ़ था। सिमी को समूल उखाड़ फेंकने का कार्य किया है, लेकिन उन्होंने नरोत्तम मिश्रा को भी इसका क्रेडिट दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन कठोर परिश्रम के बगैर संभव नहीं है। मैं तो निमित्त हूं, काम तो शिवराज और नरोत्तम की जोड़ी ने किया है। उन्होंने डकैत और नक्सली समस्या से सख्ती से निपटा है।