राजधानी दिल्ली में चल रह किसानों के आंदोलन पर कनाडा के प्रधानमंत्री और मंत्रियों की ओर से जारी बयानबाजी को लेकर भारत ने कड़ी चेतावनी दी है। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कनाडा के हाई कमिश्नर को तलब किया और आंतरिक मुद्दों पर हस्तक्षेप बंद करने की नसीहत देते हुए कहा कि यदि यह जारी रहा तो दोनों देशों के रिश्ते बेहद खराब हो जाएंगे।
विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया, ”आज विदेश मंत्रालय की ओर से कनाडा के हाई कमिश्नर को तलब किया गया और बताया गया कि कनाडा के पीएम कुछ कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों की ओर से भारतीय किसानों पर बयानबाजी हमारे आंतरिक मामलों में अस्वीकार्य हस्तक्षेप है।” विदेश मत्रालय ने यह भी कहा कि यदि यह जारी रहा तो भारत और कनाडा के रिश्तों पर इसके गंभीर परिणाम होंगे। इन बयानों ने कनाडा में हमारे हाई कमीशन और कांसुलेट के सामने चरमपंथी गतिविधियों को बढ़ाया है, जिससे सुरक्षा की चिंता उत्पन्न हुई है।
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, ”हम आशा करते हैं कि कनाडा की सरकार भारतीय कूटनीतिक अधिकारियों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी और इसके नेता चरमपंथी एक्टिविज्म को बढ़ावा देने वाली घोषणाओं से दूर रहेंगे। भारत ने इससे पहले भी कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के बयान को गैरजरूरी बताते हुए कहा था कि घरेलू मामले में दखल ना दी जाए।”
ट्रूडो ने भारत में आंदोलनकारी किसानों का सोमवार को समर्थन करते हुए कहा था कि कनाडा शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के अधिकार का हमेशा बचाव करेगा। गुरु नानक देव की 551वीं जयंती के मौके पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान ट्रूडो ने कहा, ”हालात बेहद चिंताजनक हैं और हम परिवार तथा दोस्तों को लेकर परेशान हैं। हमें पता है कि यह कई लोगों के लिए सच्चाई है। आपको याद दिला दूं, शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकार की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा खड़ा रहेगा।”
कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं, जो ज्यादातर पंजाब से हैं। ट्रूडो ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट की गई वीडियो में कहा, ”हम बातचीत में विश्वास करते हैं। हमने भारतीय अधिकारियों के सामने अपनी चिंताएं रखी हैं।” कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन ने भी स्थिति को लेकर चिंता जताई।” भारतीय मूल के सज्जन ने रविवार को ट्वीट किया था, ”भारत में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर क्रूरता दिखाना परेशान करने वाला है। मेरे क्षेत्र के कई लोगों के परिवार वहां हैं और उन्हें अपने लोगों की चिंता है। स्वस्थ लोकतंत्र शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति देते हैं। मैं इस मूलभूत अधिकार की रक्षा की अपील करता हूं।”