प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस बार पंचायत चुनाव 2015 की तुलना में कम पदों पर होंगे। वाराणसी में 61 ग्राम पंचायतों को नगर निगम सीमा में शामिल कर लिया गया है। इसके बाद अब पंचायतों के पुनगर्ठन का काम शुरू हो चुका है। पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अभी तक जिला पंचायत के 48 में से सात वार्ड खत्म होंगे। इस तरह जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव केेवल 41 सीटों पर ही होगा। इसी प्रकार वर्तमान में मौजूद 1198 बीडीसी यानी क्षेत्र पंचायतों में से मात्र 1011 ही क्षेत्र पंचायत वार्ड रह जाएंगे। शेष 187 वार्ड समाप्त हो जाएंगे।
61 ग्राम पंचायतों के नगर निगम सीमा में शामिल होने के बाद 699 ग्राम पंचायतों में ही अब ग्राम प्रधान का चुनाव होगा। सदस्यों की संख्या लगभग 200 से ज्यादा कम हो जाएगी। हालांकि कहां कितनी सीटें कम होंगी, इसका पूरा ब्यौरा परिसीमन की सूची के प्रकाशन के बाद ही मिलेगा। बताया जा रहा है कि त्रिस्तरीय पंचायत का परिसीमन को अंतिम रूप देने में जुटे अधिकारी पंचायतों का खाका खींच चुके हैं। बस, इसको अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
चांदपुर, डाफी और सभईपुर पंचायतें बनीं रहेंगी :
अधिकारियों की मानें तो आबादी के कम होने के बाद भी चांदपुर, डाफी व सभईपुर पंचायतें बनी रहेंगी। चांदपुर ग्राम पंचायत की आबादी करीब पांच हजार थी जो अब तीन हजार हो जाएगी। इसी प्रकार डाफी तथा तीन हजार की आबादी वाले सभईपुर की आबादी अब 2200 के करीब हो जाएगी। नियमत: एक हजार की आबादी पर एक ग्राम पंचायत का गठन किया जा सकता है। वाराणसी के ग्राम पंचायतों की आबादी 20 लाख से अधिक है। 50 हजार की आबादी पर एक जिला पंचायत सदस्य की सीट तय होती है। इसी प्रकार 2000 की आबादी पर एक क्षेत्र पंचायत सदस्य होता है। ग्राम पंचायत सदस्यों के लिए अलग-अलग नियम हैं। मतलब एक हजार की आबादी पर नौ ग्राम पंचायत सदस्य, दो हजार पर 11 व दो हजार से तीन हजार के बीच 13 तथा तीन हजार के ऊपर होने पर अधिकतम 15 ग्राम पंचायत सदस्य बनाए जा सकते हैं।