स्वामी विवेकानंद जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दूसरे राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव के समापन समारोह संबोधित किया। बता दें स्वामी विवेकानंद की जयंती पर हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू सहित अन्य लोग भी उपस्थित रहें। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी अपने विचार रखें। उसके अलावा दूसरे राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव के तीन राष्ट्रीय विजेताओं ने भी समारोह में अपने विचार व्यक्त किए।
युवा शक्ति पर विश्वास करते थे स्वामी विवेकानंद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि ये स्वामी विवेकानंद जी ही थे, जिन्होंने उस दौर में कहा था कि निडर, बेबाक, साफ दिल वाले, साहसी और आकांक्षी युवा ही वो नींव है जिस पर राष्ट्र के भविष्य का निर्माण होता है। वो युवाओं पर, युवा शक्ति पर इतना विश्वास करते थे।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि देश को आगे बढ़ाने का मौका गंवाना नहीं है। देश की अगली 25-30 साल की यात्रा बहुत अहम है। युवा पीढ़ी को इस सदी को भारत की सदी बनाना है। हर फैसले में देशहित देखना चाहिए। युवाओं को आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए आगे आना चाहिए।
राजनीति में अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ वंशवाद का रोग
पीएम मोदी ने कहा आज राजनीति में ईमानदार लोगों को भी मौका मिल रहा है। Honesty और Performance आज की राजनीति की पहली अनिवार्य शर्त होती जा रही है। भ्रष्टाचार जिनकी legacy थी, उनका भ्रष्टाचार ही आज उन पर बोझ बन गया है। वो लाख कोशिशों के बाद भी इससे उभर नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा ”कुछ बदलाव बाकी हैं, और ये बदलाव देश के युवाओं को ही करने हैं। राजनीतिक वंशवाद, देश के सामने ऐसी ही चुनौती है जिसे जड़ से उखाड़ना है। अब केवल सरनेम के सहारे चुनाव जीतने वालों के दिन लदने लगे हैं लेकिन राजनीति में वंशवाद का ये रोग पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।”
प्रधानमंत्री के संबोधन के अंश…
- आज सभी को राष्ट्रीय युवा दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. स्वामी विवेकानंद के जन्म जयंती का ये दिन हम सभी को प्रेरणा देता है। आज का ये दिन, विशेष इसलिए भी हो गया है कि इस बार युवा संसद देश की संसद के सेंट्रल हॉल में हो रही है। ये सेंट्रल हॉल हमारे संविधान के निर्माण का गवाह है।
- स्वामी जी ने भारत को उसकी ताकत याद दिलाई, साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय चेतना जागृत की। स्वामी विवेकानंद ने एक और अनमोल उपहार दिया है। ये उपहार है, व्यक्तियों के निर्माण का, संस्थाओं के निर्माण का। इसकी चर्चा बहुत कम ही हो पाती है। लोग स्वामी जी के प्रभाव में आते हैं, संस्थानों का निर्माण करते हैं, फिर उन संस्थानों से ऐसे लोग निकलते हैं जो स्वामी जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए नए लोगों को जोड़ते चलते हैं।
-Individual से Institutions और Institutions से Individual का ये चक्र भारत की बहुत बड़ी ताकत है।
- ये स्वामी जी ही थे, जिन्होंने उस दौर में कहा था कि निडर, बेबाक, साफ दिल वाले, साहसी और आकांक्षी युवा ही वो नींव है जिस पर राष्ट्र के भविष्य का निर्माण होता है। वो युवाओं पर, युवा शक्ति पर इतना विश्वास करते थे।
- पहले देश में ये धारणा बन गई थी कि अगर कोई युवक राजनीति की तरफ रुख करता था तो घर वाले कहते थे कि बच्चा बिगड़ रहा है। क्योंकि राजनीति का मतलब ही बन गया था- झगड़ा, फसाद, लूट-खसोट, भ्रष्टाचार! लोग कहते थे कि सब कुछ बदल सकता है लेकिन सियासत नहीं बदल सकती।
- आज देश में जो नई शिक्षा नीति लागू की गयी है उसका भी बहुत बड़ा फोकस व्यक्ति निर्माण पर है। अब ये नहीं होगा कि पहले कोर्स के लिए जो मेहनत की थी वो बेकार हो जाएगी।
- आज राजनीति में ईमानदार लोगों को भी मौका मिल रहा है। Honesty और Performance आज की राजनीति की पहली अनिवार्य शर्त होती जा रही है। भ्रष्टाचार जिनकी legacy थी, उनका भ्रष्टाचार ही आज उन पर बोझ बन गया है। वो लाख कोशिशों के बाद भी इससे उभर नहीं पा रहे हैं।
- कुछ बदलाव बाकी हैं, और ये बदलाव देश के युवाओं को ही करने हैं। राजनीतिक वंशवाद, देश के सामने ऐसी ही चुनौती है जिसे जड़ से उखाड़ना है। अब केवल सरनेम के सहारे चुनाव जीतने वालों के दिन लदने लगे हैं लेकिन राजनीति में वंशवाद का ये रोग पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। अभी भी ऐसे लोग हैं, जिनका विचार, जिनका आचार, जिनका लक्ष्य, सबकुछ अपने परिवार की राजनीति और राजनीति में अपने परिवार को बचाने का है। ये राजनीतिक वंशवाद लोकतंत्र में तानाशाही के साथ-साथ अक्षमता को भी बढ़ावा देता है। राजनीतिक वंशवाद, Nation First के बजाय सिर्फ मैं और मेरा परिवार, इसी भावना को मज़बूत करता है। ये भारत में राजनीतिक और सामाजिक करप्शन का भी एक बहुत बड़ा कारण है।
- हमारे युवाओं को आगे आकर राष्ट्र का भाग्यविधाता बनना चाहिए। ये आपकी जिम्मेदारी है कि भारत के भविष्य का नेतृत्व करें। ये जिम्मेदारी देश की राजनीति को लेकर भी है। देश की राजनीति को भी युवाओं की बहुत जरूरत है। हमारा युवा खुलकर अपनी प्रतिभा और अपने सपनों के अनुसार खुद को विकसित कर सके इसके लिए आज एक environment और इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था हो, सामाजिक व्यवस्था हो या कानूनी बारीकियां, हर चीज में इन बातों को केंद्र में रखा जा रहा है।
- पर्सनालिटी डेवलपमेंट का स्वामी जी का मंत्र था अपने आप पर विश्वास करो। लीडरशिप के संबंध में उनका मंत्र था- Belive in All। वे कहते थे कि नास्तिक वो है जो खुद में भरोसा नहीं करता है। जब नेतृत्व की बात आती थी तो वे खुद से पहले टीम पर भरोसा करते थे।
- स्वामी जी शारीरिक और मानसिक ताकत पर भी बहुत जोर देते थे, जिसे हमें नहीं भूलना चाहिए।
- 2001 में जब गुजरात के कच्छ में भूकंप आया था तब पूरा कच्छ मौत की चादर बन गया था। हमने गुजरात मे जिम्मेदारी मिलने के बाद तय किया कि इस कच्छ को नई ऊंचाई तक पहुचाएंगे
- जो समाज संकटों में भी प्रगति के रास्ते बनाना सीख लेता है, वो समाज अपना भविष्य खुद लिखता है।
पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत और 130 करोड़ भारतवासी अपना उत्तम भविष्य खुद गढ़ रहे हैं। देश आजाद हो गया लेकिन आज भी स्वामी जी हमें प्रेरणा देते हैं, उनके विचार आज भी हमें, उतने ही प्रभावित करते हैं।