बीजापुर में शनिवार को माओवादियों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद से लापता सीआरपीएफ़ के राकेश्वर सिंह मनहास की रिहाई नहीं हो पाई है.
उनकी रिहाई के लिए बुधवार को बीजापुर के जंगलों में पहुँची सामाजिक कार्यकर्ता और जेल बंदी रिहाई समिति की संयोजक सोनी सोरी को माओवादियों ने खाली हाथ लौटा दिया है.
माओवादियों ने कहा है कि वे कथित रूप से उनके कब्ज़े में लिये गए सीआरपीएफ़ के राकेश्वर सिंह मनहास को सरकार द्वारा नियुक्त मध्यस्थ को ही सौंपेंगे.सरकार की ओर से अब तक किसी को मध्यस्थ नियुक्त किये जाने की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है.
हालांकि राज्य सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने दावा किया है कि जवान की सकुशल रिहाई की कोशिशें की जा रही हैं और सरकार के कुछ प्रतिनिधि दंतेवाड़ा पहुँचे हैं.लेकिन क्या उन्हें मध्यस्थ बनाया गया है, इस बात का जवाब अधिकारी ने नहीं दिया.
सोनी सोरी ने कहा, “माओवादियों के संदेश के बाद अब सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो जल्दी से जल्दी अपह्रत जवान की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करे. हमने माओवादियों से अपील की है कि जवान को किसी भी तरह का कोई नुकसान ना पहुँचायें.”
सोनी सोरी ने कहा कि मुठभेड़ से पहले जुन्नागुंड़ा से डीआरजी के जवान गाँव के एक आदिवासी सुक्का माड़वी को अपने साथ उठाकर ले गये हैं और सुक्का माड़वी अब तक लापता हैं.
गाँववालों ने सोनी सोरी को बताया कि डीआरजी के जवानों ने कई घरों में तोड़फोड़ की और कई घंटों तक सुक्का से मारपीट की गई.इससे पहले माओवादियों ने पत्रकारों को फ़ोन कर यह दावा किया था कि सीआरपीएफ़ के राकेश्वर सिंह मनहास उनके कब्ज़े में हैं.
माओवादियों ने एक दिन पहले, कथित रूप से उनके कब्ज़े के दौरान ली गई राकेश्वर सिंह मनहास की एक तस्वीर भी जारी की थी.
बीजापुर के तर्रेम में शनिवार को हुए माओवादी हमले में सुरक्षाबलों के 22 जवान मारे गये थे. इसके अलावा 31 घायल जवानों को बीजापुर और रायपुर के अस्पतालों में भर्ती किया गया था. सुरक्षाबलों का एक जवान तभी से लापता है. माओवादियों का दावा है कि वो उनकी गिरफ़्त में है.