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Friday, October 18, 2024

मंदिर की जमीन हड़पने के लिए भगवान को ही मृतक बना दिया

मंदिर की जमीन हड़पने के लिए भगवान को ही मृतक बना दिया। पहले तो कागजों में एक व्यक्ति को भगवान कृष्ण-राम का पिता बनाया फिर दिखाया कि कृष्ण राम की मृत्यु हो गई, जिसके बाद जमीन का मालिकाना हक फर्जी पिता को दे दिया गया। इस फर्जीवाड़े के बारे में मंदिर के ट्रस्टी की शिकायत नायब तहसीलदार से होते हुए कलेक्टर तक पहुंची। न्याय नहीं मिला तो मामला डिप्टी सीएम तक पहुंचा तब जाकर जांच हुई। इसमे सामने आया कि पीड़ित मंदिर ट्रस्ट सही है। चकबंदी के दौरान मंदिर के विग्रह, जिनके नाम पर जमीन थी, उसी नाम से किसी शख्स को दस्तावेजों में जालसाजी करके दर्ज किया गया था।

मामला मोहनलालगंज के कुशमौरा हलुवापुर का है। डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा के निर्देश पर एसडीएम सदर प्रफुल्ल त्रिपाठी को जांच सौंपी गई। पीड़ित की अर्जी में बताया गया कि वादी मंदिर यानी ट्रस्ट है। खसरा संख्या 138, 159 और 2161 कुल रकबा 0.730 हेक्टेयर ‘कृष्णराम’ भगवान के नाम पर खतौनी में दर्ज है। मंदिर 100 साल पुराना है। भगवान के नाम 1397 फसली की खतौनी तक यह लगातार दर्ज रहा। 1987 में चकबंदी प्रक्रिया के दौरान कृष्णराम को मृतक दिखाकर उनके फर्जी पिता गया प्रसाद को वारिस बताते हुए नाम दर्ज कर दिया गया। इसके बाद 1991 में गया प्रसाद को भी मृत दर्शाकर उसके भाई रामनाथ और हरिद्वार का नाम फर्जी तौर पर दर्ज किया गया। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी ने वर्ष 2016 में तहसील दिवस के दौरान भी फरियाद की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

जांच में मामला फर्जी निकला
वर्ष 2018 में जब फरियादी डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा से मिले तो उन्होंने इस मामले की जांच के निर्देश डीएम लखनऊ को दिए। एसडीएम सदर प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी के अनुसार जांच में पाया गया कि पूर्व में मंदिर और जमीन कृष्ण-राम भगवान के नाम ही दर्ज थी। दरअसल दस्तावेजों में भगवान के विग्रह को व्यक्ति के रूप में मान्यता दी जाती है। कुछ लोगों ने हेरफेर कर के उसी नाम से किसी शख्स को दस्तावेजों में दर्ज कर दिया।

अभी हो रही है एक और जांच
एसडीएम ने बताया कि पहली बार 1968 में यह जमीन मंदिर के नाम तहसीलदार के आदेश से दर्ज हुई थी। तहसीलदार ने पट्टा किया था जिस पर मंदिर का निर्माण हुआ है। उसके पूर्व वह जमीन बंजर के नाम थी। अब एक और जांच इस बात की चल रही है कि क्या तहसीलदार को उस समय सीधे तौर पर पट्टा करने का अधिकार था। अभी यह जांच पूरी नहीं हुई है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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