पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के प्रेस अधिकारी रहे राजेंद्र जोशी के छोटे बेटे उद्भव जोशी की कूलर के थ्री पिन सॉकेट वायर से गला घोंटकर हत्या कर दी गई। वह चार दिसंबर की सुबह अपने दफ्तर गए, फिर घर नहीं लौटे। पांच दिसंबर को बड़े भाई ने उनकी गुमशुदगी बागसेवनिया थाने में दर्ज करवाई थी। प्लास्टिक के बोरे में उद्भव का शव मिनाक्षी प्लेनेट सिटी चौराहे के पास खाली प्लॉट पर मिला। उनके गले में कूलर वायर लिपटा था । बागसेवनिया पुलिस ने छह घंटे बाद ही इस मामले में रिटायर्ड इनकम टैक्स अफसर के बेटे अभिजीत साकल्ले को गिरफ्तार कर लिया। खुलासा हुआ कि उद्भव और अभिजीत अच्छे दोस्त थे और दोनों में एक युवती को लेकर विवाद हो गया।
वारदात के बाद 37 घंटे तक आरोपी ने शव को अपने पलंग के नीचे छिपाए रखा। रविवार और सोमवार को उद्भव के एटीएम से 40 हजार रुपए निकाले गए। पुलिस ने जब एटीएम के फुटेज निकाले तो इस वारदात का खुलासा हो गया।
एसडीओपी अमित मिश्रा के मुताबिक मूलत: छिदगांव, टिमरनी के रहने वाले 32 वर्षीय उद्भव जोशी विद्या नगर स्थित एक टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी में एकाउंटेंट थे। लिंक रोड नंबर 3 स्थित पत्रकार कॉलोनी में वह अपनी मां शशिकला जोशी, भाई अनुभव, भाभी नीता और भतीजे अविरल के साथ रहते थे। बड़े भाई अनुभव सांख्यिकी विभाग में सांख्यिकी अधिकारी हैं। उनके पिता राजेंद्र जोशी अपर संचालक जनसंपर्क संचालनालय के पद से रिटायर हुए थे। वह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के प्रेस अधिकारी भी रह चुके हैं। बाद में उनका निधन हो गया।
शुक्रवार की दोपहर दफ्तर से निकले
रिश्तेदार नीरज साकल्ले ने बताया कि बीती चार दिसंबर की सुबह करीब दस बजे रोज की तरह उद्भव दफ्तर जाने का कहकर घर से निकले। दोपहर करीब एक बजे वह दफ्तर से निकले, लेकिन शाम तक घर नहीं लौटे। काफी तलाश के बाद भी वह नहीं मिले तो अगले दिन अनुभव ने बागसेवनिया थाने पहुंचकर उनकी गुमशुदगी दर्ज करवाई।
चल रही थी शादी की बात
परिवार ने बताया कि उद्भव के रिश्ते की बात भी चल रही थी। हाल ही में परिवार उनके लिए लड़की देखकर लौटा था। हालांकि, यहां रिश्ता फिलहाल तय नहीं हुआ था। उद्भव काफी सरल और सहज व्यक्ति थे। पुलिस को उनके कत्ल में काफी करीबी पर शक है। दावा है कि जल्द ही वारदात का खुलासा कर दिया जाएगा।
दोनों दोस्त कभी एक ही कंपनी में साथ काम करते थे
एएसपी राजेश सिंह भदौरिया के मुताबिक उद्भव का स्कूटर छह दिसंबर को प्रगति पेट्रोल पंप के पास लावारिस हालत में खड़ा मिला था। पुलिस को उद्भव की जेब से उसका एटीएम कार्ड नहीं मिला। पुलिस ने उक्त बैंक खाते की जानकारी ली तो पता चला कि रविवार-सोमवार को दो बार में 40 हजार रुपए निकाले गए हैं। एटीएम के फुटेज निकालने पर खुलासा हुआ कि ये रकम उद्भव के साथ काम करने वाले अभिजीत साकल्ले ने ही निकाली है। पुलिस ने अभिजीत को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो वह गुमराह करने लगा। थोड़ी सख्ती बरतते ही उसने कत्ल का राज बयां कर दिया। बताया कि हम दोनों अच्छे दोस्त थे और साथ में एक ही कंपनी में काम करते थे।
अगस्त महीने में मेरी जॉब छूट गई। इसके बाद भी हम अक्सर मिलते रहते थे। चार दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे मैं उद्भव को अपने साथ रामेश्वरम एक्सटेंशन स्थित अपने घर ले आया। उस वक्त मेरे माता-पिता एक शादी समारोह में गए थे, जबकि भाई भी घर पर नहीं था। अपने कमरे में मैंने शराब पी। तभी एक कॉमन फ्रेंड को लेकर हमारी बहस होने लगी। गुस्से में उद्भव ने मुझे थप्पड़ मार दिया, इसलिए मैंने तार से उसका गला घोंट दिया।
पर्स से हुई शिनाख्त
पुलिस को सोमवार दोपहर 2:36 बजे मिनाक्षी प्लेनेट सिटी चौराहे से 30 मीटर अंदर खाली प्लॉट पर बोरे में लाश मिली थी। शव डीकंपोज होने लगा था। उसके गले में कूलर का थ्रीपिन सॉकेट वायर लिपटा था, जिससे कत्ल किया गया। मृतक की पेंट की दाहिनी जेब में एक पर्स मिला। इसमें ड्राइविंग लाइसेंस मिला, जो उद्भव जोशी के नाम का था। इसके बाद परिजन को बुलाकर मृतक की पहचान करवाई।
नॉनवेज का बहाना- चचेरे भाई की मदद से शव को ठिकाने लगाया
आरोपी अभिजीत ने उद्भव का शव 37 घंटे तक अपने पलंग के नीचे छिपा कर रखा था। छह दिसंबर की रात करीब एक बजे उसने अपने चचेरे भाई की मदद से शव को बोरे में भरकर मिनाक्षी प्लेनेट सिटी के पास फेंक दिया। उसने भाई से कहा था कि कुछ नॉनवेज मंगवाया था, जिसे फेंकने चलना है। हालांकि, पुलिस उसके इस बयान को गलत मानते हुए चचेरे भाई को भी आरोपी बनाएगी।