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Tuesday, July 8, 2025

भारत ने फिर से तोपों की तैनाती शुरू कर दी,तीन लद्दाख में ट्रायल के लिए तैनात

भारत-चीन में नौ महीने से चले आ रहे तनाव में पिछले दिनों उस समय कमी आई, जब दोनों पक्ष पैंगोंग सो के दोनों किनारों से सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हुए। दोनों देशों के सैनिक अपनी तोपों समेत पीछे हटने लगे हैं और इलाका खाली होने लगा है। इन सबके बीच भारत ने फिर से तोपों की तैनाती शुरू कर दी है। इंडियन आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने पिछले दिनों 100 के-9 वज्र तोपों का ऑर्डर दिया था, जिसमें से तीन को लद्दाख में ट्रायल के लिए तैनात कर दिया गया है। पूर्वी लद्दाख में इन तोपों को उस समय भेजा गया है, जब दोनों देशों के बीच संबंध एक बार फिर से कुछ हद तक ठीक होते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि, अभी भी कई जगह से डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया होनी बाकी है, जिस पर आने वाले समय में बात होगी।

सरकार के टॉप सूत्रों ने बताया कि लेह में कल (बुधवार) तीन तोपों को भेजा गया, जिसके बाद उन्हें हाई एल्टीट्यूड बेस पर टेस्टिंग के लिए तैनात कर दिया गया। सेना इन तोपों की टेस्टिंग से यह देखेगी कि क्या इनका इस्तेमाल हाई एल्टीट्यूड वाले इलाकों में जरूरत लगने पर दुश्मनों के खिलाफ किया जा सकता है या नहीं। सूत्रों ने कहा कि इनके प्रदर्शन के आधार पर, भारतीय सेना पहाड़ी इलाकों के लिए स्व-चालित हॉवित्जर की दो से तीन अतिरिक्त रेजिमेंटों के लिए ऑर्डर देने पर विचार करेगी।

इन हॉवित्जर तोपों को गुजरात के सूरत के नजदीक हजीरा में लार्सन एंड टर्बो फेसिलिटी में बनाया गया है और आर्मी चीफ नरवणे खुद इनके सेना में इंडक्शन और ऑपरेशन को लेकर नजर बनाए हुए हैं। भारतीय सेना ने इनमें से 100 तोपों के ऑर्डर दक्षिण कोरियाई फर्म को दिए हैं और अलग-अलग रेजीमेंट्स में पिछले दो सालों से उन्हें शामिल कर रही है। के-9 वज्र दक्षिण कोरिया के के-9 थंडर का स्वदेशी वर्जन है। स्व-चालित बंदूकों की रेंज 38 किलोमीटर है और इसका निर्माण मुंबई की एक फर्म लार्सन एंड टर्बो ने दक्षिण कोरियाई फर्म के साथ मिलकर किया है।

बोफोर्स घोटाले के दौरान देश में बवाल के बाद भारतीय सेना ने साल 1986 से कोई नई अहम तोपों को इंडियन आर्मी में शामिल नहीं है। के-9 वज्र, धनुष और एम-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर के इंडक्शन साथ, सेना अपनी इन्वेंट्री में नए-नए हथियार ला रही है। भारत में बनी होवित्जर तोपों की बड़ी संख्या में आने वाले समय में सेना में शामिल किए जाने की संभावना है, जोकि डिफेंस रिसर्च एंड डिवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की बनाई एडवाइंस टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम पर आधारित होगी।

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच पिछले साल अप्रैल से ही पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य गतिरोध चला आ रहा है। 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। चीन के भी कई सैनिक इस टकराव में मारे गए थे, लेकिन उसने अभी तक इनकी संख्या नहीं बताई है। दोनों देश मुद्दे के समाधान के लिए कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ता कर चुके हैं और काफी हद तक सफलता भी मिली है। पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से दोनों देशों की सेनाएं डिसइंगेजमेंट कर रही हैं। 

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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