सुप्रीम कोर्ट ने भारत के ऐतिहासिक विमान वाहक पोत ‘विराट’ की यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है.
एक निजी कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यह आदेश दिया.याचिकाकर्ता ने दलील पेश की है कि इस ऐतिहासिक विमान पोत को तोड़ने से अच्छा है कि इसे एक म्यूज़ियम में तब्दील कर दिया जाये.
इस विमान वाहक पोत ने भारतीय नौसेना में क़रीब तीन दशक तक सेवा दी और अब इसे सेवा से बाहर कर दिया गया है.
एनवीटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी आईएनएस विराट को संग्रहालय बनाना चाहती है. इस कंपनी ने आईएनएस विराट को ख़रीदने और इसे संग्रहालय में तब्दील करने की पेशकश की थी, लेकिन कंपनी केंद्र सरकार से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) हासिल नहीं कर पायी.
आईएनएस विराट फ़िलहाल जहाज़ तोड़ने वाली एक कंपनी के पास है और इस विमान वाहक पोत को अब तोड़ा जाना था, जिस पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी.
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस.ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कंपनी की याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर इस बारे में उनका जवाब माँगा है.
शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस बाबत रक्षा मंत्रालय को कुछ वक़्त पहले एक पत्र भी लिखा था.
चतुर्वेदी ने कहा था कि महाराष्ट्र को इस ऐतिहासिक युद्धपोत के पुनरुद्धार और संरक्षण का काम करने में ख़ुशी होगी.
उन्होंने कहा कि ‘यह बेहद दुख और चिंता की बात है कि गुजरात के अलंग में आईएनएस विराट को कबाड़ में तब्दील करने का कार्य शुरू किया जा चुका है.’