बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम से पहले ही कांग्रेस ने विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश शुरू कर दी है। पार्टी ने सभी उम्मीदवारों को निर्देश दिए हैं कि अगर चुनाव में जीत होती है, तो उन्हें फौरन वरिष्ठ नेताओं से संपर्क करना है। किसी भी तरह की आशंका से बचने के लिए कांग्रेस ने अपने विधायकों को राजस्थान और पंजाब भेजने की भी तैयारी कर ली है।
विधानसभा चुनाव में राजद-कांग्रेस गठबंधन को जीत का पूरा भरोसा है। एक्जिट पोल भी महागठबंधन की जीत की तरफ इशारा कर रहे हैं। इन सबके बावजूद कांग्रेस कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। पार्टी ने समन्वय की जिम्मेदारी संभाल रहे केंद्रीय नेताओं को पटना भेज दिया है, ताकि चुनाव परिणाम के बाद पैदा हुई स्थिति से फौरन निपटा जा सके। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सभी उम्मीदवारों से कहा गया है कि वे जीत के बाद फौरन समन्वय की जिम्मेदारी संभाल रहे रणदीप सुरजेवाला से संपर्क करें। उन्होंने कहा कि चुनाव में किसी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है, तो पार्टी ने अपने विधायकों को राजस्थान और पंजाब भेजने की भी तैयारी कर ली है। यह इसलिए कि पार्टी में टूट की आशंका से बचा जा सके।
बिहार प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा कहते हैं कि सावधानी बेहद जरूरी है, क्योंकि जेडीयू-भाजपा अपनी सरकार बनाने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकते हैं। पार्टी को बिहार सहित कई राज्यों में पार्टी को टूट का सामना करना पड़ा है। बिहार में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पार्टी छोड़ चुके हैं। मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक सहित कई उदाहरण हैं।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी को टूट का डर इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि चुनाव के दौरान ऐसे नेताओं को टिकट दिया गया है, जो चुनाव से कुछ दिन पहले ही दूसरी पार्टियों से आए थे। ऐसे में ये लोग जेडीयू-भाजपा के खिलाफ लोगों की नाराजगी के चलते चुनाव जीतते हैं, तो ऐसे लोगों को एकजुट रखना जरूरी है।