बिल्लियों के साथ खेलने के शौक में पांच वर्षीय एक बच्ची दुर्लभ बीमारी ‘टाक्सो- पैराकेनिस’ की शिकार हो गई। बिल्लियों के मल से होने वाली इस बीमारी से उसकी एक आंख का परदा उखड़ गया। रोशनी चली गई। जीएसवीएम मेडिकल कालेज में लंबे इलाज के बाद रोशनी वापस लौट रही है। डॉक्टरों का दावा है कि यह देश में इस बीमारी का तीसरा केस है। डॉक्टरों ने इसकी केस स्टडी अमेरिकन जर्नल को भेज दी है।
आंख में अचानक आया धुंधलापन
घंटाघर निवासी पांच साल की जामिया के घर में तीन देशी बिल्लियां पली थीं। वह दो-तीन साल की उम्र से ही बिल्लियों के साथ खेलने लगी। पिछले साल जून में एक सुबह सोकर उठी तो आंख में धुंधलापन था। कुछ दिनों में एक आंख लाल होने लगी। डॉक्टरों ने साधारण इन्फेक्शन मान कर दवाएं दीं। इलाज बेअसर रहा। एक आंख की रोशनी चली गई। घरवाले मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग पहुंचे। यहां विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान ने कुछ जांचें कराईं। बच्ची के रहन-सहन के बारे में पूछा। बिल्लियों संग खेलने की जानकारी मिलने पर टाक्सो-पैराकेनिस की आशंका हुई। जांच में पता चला कि टीनिया केंडिस परजीवी का जबरदस्त संक्रमण है, जिससे एक आंख का परदा उखड़ गया है। यह परजीवी बिल्ली के मल से इंसानी आंख में पहुंचता है।
आप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी से जांच में पता चला कि आंख का परदा उखड़ गया है। कुछ स्टेरायड और एंटीपैरासाइट दवाओं से बीमारी काबू हो गई। छह महीने लगातार इलाज करने पर बच्ची ठीक हो रही है। ऑपरेशन नहीं करना पड़ा। यह भारत में ‘टाक्सो- पैराकेनिस’ बीमारी का तीसरा मामला है।