24.1 C
Delhi
Thursday, September 19, 2024

पैंगोंग झील का बदलता रहता है रंग, नजारा देखने के लिए भारतीय सैलानियों को लेना होगा परमिट

भारत-चीन के बीच हुए गतिरोध के वक्त पैंगोंग झील काफी सुर्खियों में रहा। अब उसी झील की खूबसूरती का नजारा देखने भारतीय सैलानी भी जा सकेंगे। हालांकि इस खूबसूरत झील का नजारा देखने के लिए पर्यटकों को ​​इनर लाइन परमिट लेना होगा। लद्दाख के पहाड़ों के बीच खारे पानी की इस सुंदर एंडोर्फिक झील का एक तिहाई क्षेत्र भारत में और बाकी हिस्सा तिब्बत के साथ चीन के इलाके में पड़ता है​​​​।
​​
एलएसी पर भारत और चीन के बीच गतिरोध की वजह बने विवादित क्षेत्रों में से सबसे प्रमुख पैंगोंग ​​झील वास्तविक नियंत्रण की चीन-भारतीय लाइन पर पड़ती है।​ ​इसके लिए लेह लद्दाख के उपायुक्त ने ​​इनर लाइन परमिट ​लेने के लिए वेबसाइट ​​

लांच की है​​​।​ इस पोर्टल पर जाकर भारतीय पर्यटक पैंगोंग झील ​जाने के लिए आवेदन कर सकते हैं​।

परमिट के लिए शर्तें

कोरोना काल की वजह से कुछ शर्तें भी रखी गई हैं।

सैलानियों को ​इनर लाइन परमिट​ मिलेगा जिनकी कोविड-19 ​परीक्षण रिपोर्ट 72 घंटे ​पहले तक ​नकारात्मक​ होगी​।​ ​​

ऐसे ​पर्यटक ​बिना किसी प्रतिबंध के लद्दाख के सभी सार्वजनिक स्थानों पर जा ​सकेंगे​। ​

कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट के बिना ​भी पर्यटक राज्य में प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन ​उनकी ​एक होटल में 7 दिनों के लिए न्यूनतम बुकिंग होनी चाहिए।

7 दिनों के लिए एक ही होटल के परिसर में रहना होगा​ और इसके बाद ही वे राज्यभर में सार्वजनिक स्थानों पर जा सकते हैं।

पैंगोंग झील की खासियत

​​सुरम्य सुंदरता के लिए बेजोड़​ ​​यह झील इसलिए भी सैलानियों को आकर्षित करती है क्योंकि इसका रंग बदलता रहता है। लद्दाख के पहाड़ों के बीच पैंगोंग झील ​​भारत से तिब्बत तक 134 किलोमीटर लंबी है और ​​देश में स्थित सबसे ऊंंची झीलों में से एक है। करीब 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पैन्गोंग झील देश के सबसे बड़े पर्यटक आकर्षणों में से एक है। इस झील की सुंदरता और आकर्षण ने पूरे देश और उससे बाहर के लोगों को आकर्षित किया है। रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व के साथ एक आर्द्रभूमि के रूप में पहचाने जाने की प्रक्रिया में इस झील की पहचान की जाती है। अगर सब कुछ उम्मीद के मुताबिक रहा तो पैंगोंग झील दक्षिण-एशिया में पहली सीमा-पार आर्द्रभूमि होगी।

क्यों पड़ा झील का नाम पैंगोंग

हिमालयन रेंज में स्थित यह लेह से लगभग 140 किमी. दूर पूर्वी लद्दाख में है। पैंगोंग झील का नाम एक तिब्बती शब्द बैंगोंग से पड़ा है जिसका अर्थ है एक संकरी और मुग्ध झील। इसका एक तिहाई क्षेत्र भारत में और बाकी हिस्सा तिब्बत के साथ चीन के इलाके में पड़ता है। झील तक पहुंचने के लिए लेह से पांच घंटे की ड्राइव करनी होगी। इस यात्रा का सबसे अच्छा हिस्सा वह मार्ग है जो झील की ओर जाता है। झील तक पहुंचने के लिए लद्दाख से होकर गुजरना होगा जो देश का एक और पर्यटक आकर्षण है और चांग ला की दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे मोटरेबल माउंटेन दर्रे से होकर गुजरता है। यह स्थान कई फ़ोटोग्राफ़रों के ​लिए ​भी पसंदीदा रहा है।

खारा पानी होने के बावजूद सर्दियों में ​जम जाती है झील

​​पैंगोंग झील की यात्रा सर्दियों के दौरान न​ करने की सलाह दी गई है क्योंकि इस मौसम में ​खारा पानी होने के बावजूद झील ​पूरी तरह ​जम जाती है। झील के बारे में दिलचस्प तथ्य यह ​भी ​है कि इसमें किसी भी तरह की वनस्पति या जलीय जीवन नहीं है। ​इसके बावजूद सैलानियों को कई प्रवासी ​पक्षी जैसे काले गर्दन वाले क्रेन और सीगल ​देखने को मिलेंगे। यह स्थान पक्षी प्रेमियों के लिए विशेष रूप से ​ख़ास है, इसलिए इन पक्षियों ​की गतिविधि​यां देखने के लिए​ ​झील के किनारे पर डेरा डाल सकते हैं।​ पैन्गोंग झील ​चीन ​सीमा के बहुत करीब है, ​इसलिए केवल निश्चित क्षेत्र तक ही जाने की अनुमति ​मिलेगी। ​इस झील के किनारे बॉलीवुड फिल्म 3 इडियट्स ​की शूटिंग की जा चुकी है। ​फिल्म के एक दृश्य ​में करीना कपूर ​स्कूटर पर सवार होकर ​​आमिर खान से​ ​​मिलने जाती हैं​​,​ वह ​पैंगोंग झील है​​।

newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
13FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »