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Sunday, December 22, 2024

पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भारतीय न्यायव्यवस्था पर सवाल उठाते हुए खस्ताहाल बताया

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भारतीय न्यायव्यवस्था पर सवाल उठाते हुए इसे खस्ताहाल बताया है। जस्टिस रंजन गोगोई ने यहां तक कहा है कि अब कोई भी कोर्ट नहीं जाना चाहता, वह भी नहीं। उन्होंने कहा कि जो लोग जोखिम उठा सकते हैं वही अदालत का रुख करते हैं।

एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में पूर्व सीजेआई ने कहा, ‘कौन कोर्ट जाता है? आप अदालत जाते हैं और पछताते हैं।’ रंजन गोगोई ने आगे कहा कि बड़े कॉर्पोरेट ही अदालतों का रुख करत हैं क्योंकि ये जोखिम उठा सकते हैं।

गोगोई नवंबर 2019 में सीजेआई के पद से रिटायर हुए थे। इसके बाद सरकार ने मार्च 2020 में रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था।

लोकसभा में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के सवाल के बाद कानून ऐक्शन लेने के सवाल के जवाब में पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा, ‘अगर आप अदालत जाते हैं तो आप अपने निजी मामलो को कोर्ट में सार्वजनिक करते हैं। आपको कभी भी फैसला नहीं मिलता।’

पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने इस दौरान भारतीय न्याय व्यवस्था में बड़े बदलावों की बात भी कही। उन्होंने कहा, ‘आप 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था चाहते हैं लेकिन आपकी न्याय व्यवस्था जर्जर हालत में है।’

उन्होंने कहा, ‘सही काम के लिए उचित व्यक्ति को नियुक्त करना है। आप जजों की नियुक्ति वैसे नहीं कर सकते जैसे सरकार में अफसरों की होती है। न्यायाधीश बनना एक पूर्णकालिक प्रतिबद्धता है। यह एक जुनून है। एक न्यायाधीश के काम के लिए कोई तय घंटे नहीं होते। यह 24 घंटे का काम है। आप रात 2 बजे नींद से उठते हैं, कोई बिंदु याद आता है और उसे लिखकर रखते हैं। एक जज ऐसे काम करता है। कितने लोग ये समझते हैं?’

रंजन गोगोई ने अयोध्या और राफेल को लेकर दिए गए फैसलों के एवज में राज्यसभा सदस्यता मिलने के आरोपों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने तंज भरे अंदाज में कहा कि अगर वाकई कोई सौदा करता तो क्या सिर्फ राज्यसभा सीट से संतुष्ट होता। उन्होंने इस मुद्दे को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि अगर मैंने बीजेपी के पक्ष में फैसला सुनाने के लिए सौदा किया होता तो सिर्फ राज्यसभा सीट ही क्यों लेता, मैं कुछ बड़ी मांग करता।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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