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Saturday, March 15, 2025

पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा व महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर केंद्रित फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट

बलात्कार, लैंगिक हिंसा, यौन अत्याचार को राजनीतिक हथियार के रूप में किया जा रहा इस्तेमाल

प.बंगाल में चुनावी हिंसा का शिकार समाज का वह तबका सबसे अधिक हुआ है, जो अभावग्रस्त, हिन्दू या फिर बीजेपी को एक विकल्प के रूप में देख रहा था

नई दिल्ली। देश में महिलाओं से जुड़े एक प्रमुख संगठन ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल एंड एकेडमेशियन्स ने 29 मई 2021 को अपनी फैक्ट फाइडिंग रिपोर्ट केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी को सौंप दी है। प. बंगाल में जारी हिंसा पर यह तथ्यात्मक रिपोर्ट 15 मई 2021 के बाद तैयार की गई। इस मौके पर मीडिया से चर्चा करते हुए GIA की संयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा जी ने कहा कि ‘हमने पाया कि पं. बंगाल में जारी हिंसा एक तरह से अपने राजनीतिक विरोध या खुन्नस को जाहिर करने के लिए की जा रही है। हमारी टीम ने अपनी रिपोर्ट में महिलाओं के साथ बलात्कार, उन्हें निर्वस्त्र कर पीटे जाने और उन पर अत्यंत जघन्य तरीके से की गई हिंसक घटनाओं का उल्लेख किया है। हमने इस बात की अनुशंसा की है कि प. बंगाल में महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय समेत सभी संवैधानिक संस्थाओं चाहे वह आयोग व स्वतंत्र निकाय जिस भी रूप में हों, स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे पर कार्रवाई करनी होगी।

‘फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में निष्कर्ष के रूप में कहा गया है कि राज्य में जारी हिंसा को राजनीतिक हथियार के रूप में उस वर्ग के खिलाफ एक अहम हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया है जो भारतीय जनता पार्टी को एक विकल्प मानता था। इस वर्ग में राज्य में वर्षों से शोषित गरीब, असहाय और हिन्दू मुख्य रूप से शामिल हैं। फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पाया कि राज्य में अंतर्रजातीय, धार्मिक विभेद, लैंगिक दूराग्रह के आधार पर बड़ी संख्या में हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया। महिलाओं और बच्चों को इस दौरान मुख्य रूप से निशाना बनाया गया है।

फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि हिंसा के दौरान ज्वलनशील विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया। बड़ी संख्या में लोगों की हत्या और घरों तथा दुकानों को लूटने की वारदातों को अंजाम दिया गया। ऐसी हिंसक वारदातें यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि राज्य में कानून नामक चीज नहीं है। ऐसे में संगठन की ओर से मांग की गई है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा सभी संबंधित आयोग तत्काल हस्तक्षेप करते हुए उचित कार्रवाई करें।

शनिवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री जी किशन रेड्डी को रिपोर्ट सौंपने पहुंची टीम में GIA की संयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा जी, प्रोफेसर विजेता सिंह अग्रवाल, सोनाली चितालकर, श्रुति मिश्रा और मोनिका अग्रवाल प्रमुख रूप से शामिल रहीं। ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल्स एंड एकेडमिशियन्स बौद्धिक व सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रही प्रतिबद्ध महिलाओं का एक प्रमुख संगठन है। संगठन की स्थापना 11 जनवरी 2015 को की गई। संस्था द्वारा गत छह वर्षों में देश में महिलाओं को सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान करने के लिए प्रमुखता से आवाज़ उठाई गई। संगठन में शामिल 250 से अधिक सदस्य सामाजिक कार्यकर्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता, विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति, पत्रकार, उद्यमी और कलाकार के रूप में समाज की सेवा कर रही हैं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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