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Thursday, November 21, 2024

पत्रकार निधि राजदान के साथ हुई फिशिंग पर हावर्ड विश्विद्यालय ने कहा उनके यहां पत्रकारिता का कोई विभाग है ही नहीं

मशहूर पत्रकार निधि राजदान के साथ हुई फिशिंग के बारे में पूरा देश चर्चा कर रहा है। लोग अलग-अलग तरह की बाते कर रहे हैं। कुछ कह रहे हैं कि इतनी बड़ी पत्रकार भी समझ नहीं पाईं और जालसाजी का शिकार हो गई और कुछ कह रहे हैं कि फिशिंग के ये मामले ऐसे होते हैं कि बड़े-बड़े से बड़ा ज्ञानी भी इनमें फंस जाते हैं। लेकिन इन सब से इतर इस मामले पर हावर्ड ने सफाई दी है। हावर्ड विश्विद्यालय ने कहा है कि उनके यहां पत्रकारिता का कोई विभाग है ही नहीं।  

गौरतलब है कि पिछले साल निधि राजदान ने सोशल मीडिया पर ही बताया था कि उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एसोसिएट प्रोफेसर की जॉब का ऑफर आया है और वह NDTV की नौकरी छोड़कर इस असाइनमेंट को ले रही हैं। हालांकि, अब पता चला है कि ऐसा कोई ऑफर उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से आया ही नहीं था बल्कि वह फिशिंग की शिकार हुई हैं। उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से की है और ईमेल के जरिए हुए कम्युनिकेशन की डीटेल्स पुलिस के साथ-साथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रशासन को जांच के लिए सौंपी है।

विधि राजदान का कथन स्पष्ट नहीं था कि हार्वर्ड स्कूल या फैकेल्टी ने उन्हें किस उद्देश्य से प्रस्ताव दिया था। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के कला और विज्ञान फैकेल्टी में पत्रकारिता विभाग ही नहीं है। वास्तव में, विश्वविद्यालय में पत्रकारिता का प्रोफेशनल स्कूल ही नहीं है।

जनू 2020 में मैंने यह कहते हुए 21 सालों की एनडीटीवी की नौकरी छोड़ी कि मैं हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जर्नलिज्म के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में जॉइन करने जा रही हूं। मुझे बताया गया था कि मैं सितंबर 2020 में यूनिवर्सिटी जॉइन करूंगी। मैं अपने नए असाइनमेंट की तैयारी कर रही थी इसी दौरान मुझे बताया गया कि महामारी की वजह से मेरी क्लासेस जनवरी 2021 में शुरू होंगी। ‘

निधि ने पोस्ट में आगे लिखा है, ‘लगातार हो रहे देर के बीच मेरे नोटिस में कई सारी प्रक्रियागत विसंगतियां आईं। शुरू में तो मैंने यह सोचकर इन बातों पर ध्यान नहीं दिया कि महामारी में ये सब न्यू नॉर्मल हैं पर हाल ही में जो कुछ हुआ वो ज्यादा परेशान करने वाला था। इसके बाद मैंने सीधे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अधिकारियों से स्थिति स्पष्ट करने के लिए संपर्क साधा और उनके आग्रह पर मैंने उनसे वे सारे कम्युनिकेशन्स शेयर किए जो तथाकथित रूप से यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए थे।”

‘यूनिवर्सिटी का पक्ष जानने के बाद मुझे पता चला कि मैं एक काफी सफिस्टकेटिड  फिशिंग की शिकार हुई हूं और दरअसल मेरे पास हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से उनके जर्नलिज़्म डिपार्टमेंट की फैकल्टी बनने का कोई ऑफर आया ही नहीं था।

हावर्ड दुनिया के बड़े संस्थानों में से एक है जिसने कोरोना महामारी के कारण शिक्षा को पूरी तरह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर स्विच कर लिया था, इसकी तरह कई दूसरे संस्थानों ने भी ऐसा ही विकल्प चुना था।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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