N/A
Total Visitor
31.6 C
Delhi
Friday, June 27, 2025

नेपाल से चीन को जोड़ने वाला तातोपानी-खासा बॉर्डर पॉइंट फिर से खोल दिया गया,चीनी प्रशासन ने नेपाल की ओर से आवाजाही की अनुमती दे दी

नेपाल से चीन को जोड़ने वाला तातोपानी-खासा बॉर्डर पॉइंट फिर से खोल दिया गया है. नेपाली अख़बार काठमांडू पोस्ट के अनुसार तातोपानी ड्राईपोर्ट के प्रमुख लाल बहादुर खत्री ने बताया कि चीनी प्रशासन ने नेपाल की ओर से आवाजाही की अनुमती दे दी है.

नेपाल में सामानों से भरे कार्गो आने लगे हैं.

खत्री ने बताया कि ‘’तीन फलों और रोज़मर्रा की चीज़ों से भरे तीन कार्गो मंगलवार को चीन से नेपाल में दाख़िल हुए.’’

तातोपानी सीमा को 20 जनवरी को मैत्री पुल पर मरम्मत के काम के लिए बंद किया गया था. ये वो पुल है जो नेपाल को चीन से जोड़ता है.

दरअसल, भोतेकोशी नदी में बारिश और तिब्बत के न्यलाम इलाक़े की झीलों के पानी से बाढ़ आ गई थी जिसके कारण ये पुल क्षतिग्रस्त हो गया था.

भोतेकोशी ग्रामीण नगर निगम के प्रमुख राजकुमार पौडेल ने नेपाली मीडिया से बताया, ‘’हमें लग रहा था कि आने वाले तीन हफ़्तों तक चीन ये सीमा बंद रखेगा क्योंकि तिब्बत में लहोसर त्योहार 12 फ़रवरी को है. ऐसा लग रहा था कि तब तक सीमा बंद रहेगी. लेकिन अब चेकप्वॉइंट को थोड़-थोड़ा खोला जा रहा है. लंबे वक़्त से सीमा के बंद रहने के कारण स्थानीय व्यापारियों पर इसका काफ़ी असर पड़ा था.‘’

सोमवार को कस्टम अधिकारियों ने बताया था कि मरम्मत का काम पूरा हो जाने के बावजूद सीमा को खोला नहीं जा सका था क्योंकि चीन की ओर बीते कुछ दिनों से बर्फ़बारी हो रही थी.

2015 में आए भूकंप के बाद चार साल तक बंद रहने के बाद तातोपानी-खासा सीमा 29 मई, 2019 में खोली गई थी. इसके बाद कोविड-19 के कहर को देखते हुए इसे जनवरी 2020 में बंद कर दिया गया था.

इसके बाद बीते साल अप्रैल में चीन ये सीमा खोलने को तैयार हुआ ताकि कोरोना वायरस से जुड़ी दवाएं और उपकरणों को पहुंचाया जा सकें. हालांकि इस दौरान मालगाड़ियों का आना-जाना लगभग बंद था.

काठमांडू से शुरू होने वाला तातोपानी-खासा सीमा बिंदु 115 किलोमीटर लंबा है, जो चीन से नेपाल के व्यापार का एक अहम रास्ता है.

नेपाल ने चीन के साथ 15 अक्तूबर 1961 को दोनों देशों के बीच रोड लिंक बनाने के लिए एक समझौता किया. इसके तहत काठमांडू से खासा तक एरानिको हाइवे बनाने की बात हुई. इस समझौते का भारत समेत कई पश्चिमी देशों ने भी विरोध किया. समझौते के हिसाब से चीन ने एरानिको हाइवे बनाया और इसे 1967 में खोला गया. कहा जाता है कि इस सड़क का निर्माण चीनी सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने किया. यह भारत से निर्भरता कम करने की शुरुआत थी.

हालाँकि इस हाइवे को दुनिया का सबसे ख़तरनाक रोड कहा जाता है. भूस्खलन यहाँ लगातार होता है और अक्सर यह सड़क बंद रहती है. नेपाल इसी रूट के ज़रिए चीन से कारोबार करता है, लेकिन ये बहुत ही मुश्किल है. यहाँ भारी बारिश होती है जिससे, भूस्खलन यहाँ आम बात है. 144 किलोमीटर लंबी यह सड़क एकदम खड़ी ढाल में है और कहा जाता है कि इस पर गाड़ी चलाना जान जोखिम में डालने की तरह है.

newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »