गणतंत्र दिवस के दिन प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मचाये उत्पात के बाद दिल्ली पुलिस की तरफ से अब तक कुल 22 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें किसान नेताओं का नाम भी शामिल है, क्योंकि उन्होंने पुलिस के तय किए गए नियमों का पालन करने का आश्वासन दिया था, लेकिन ट्रैक्टर रैली के दौरान इन सभी नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। इस बीच किसान संगठनों में अलगाव हो गया है। एक ओर संयुक्त किसान मोर्चा सिंधु बॉर्डर पर बैठक कर रहा है, वहीं दो किसान संगठनों किसान मजदूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने आंदोलन को समाप्त घोषित कर दिया है।
वहीं किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह ने गाजीपुर बॉर्डर पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दिल्ली की हिंसा राकेश टिकैत की उग्र सोच का नतीजा है। उनके किसी भी प्रदर्शन से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि टिकैत ने पहले ही ट्रैक्टर परेड को लेकर डंडा और झंडा लगाने जैसे बयान दिए थे। उस पर वो चाहते थे कि पुलिस के साथ तय रूट से अलग रास्ते पर ट्रैक्टर परेड निकाली जाए। इसलिए 11 बजे की बात तय होने पर भी आक्रोशित किसान दस बजे ही निकल गए। यहां तक कि टिकैत ने कभी भी यूपी के किसानों से बात नहीं की।
किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि हिन्दुस्तान का झंडा सभी की गरिमा और मर्यादा का मामला है। ऐसे में अगर तिरंगे की मर्यादा को भंग किया गया तो आरोपितों को सजा मिलने के साथ ऐसा करने की छूट देने वाले को भी गलत ही कहा जाएगा। वीएम सिंह ने आईटीओ पर एक साथी के शहीद होने के मामले में उसे ले जाने वाले तथा उकसाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
दूसरी ओर, चिल्ला बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने कहा कि 26 जनवरी के दिन दिल्ली में दिखा हिंसा का मंजर दुख पहुंचाने वाला है। इस प्रकार की गतिविधियों को सोच कर किसान आंदोलन करने नहीं बैठे थे। कल की घटना को देखने के बाद हम अपना 58 दिन का प्रदर्शन समाप्त करते हैं।