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Thursday, November 21, 2024

दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग सर्वेक्षण का काम ग्रेटर नोएडा से शुरू किया गया

दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) सर्वेक्षण का काम ग्रेटर नोएडा से सोमवार को शुरू किया गया। अत्याधुनिक एरियल लिडार व इमेजरी सेंसरों से लैस एक हेलिकॉप्टर ने पहली उड़ान भरी और जमीनी सर्वेक्षण से संबंधित आंकड़ों को कैमरे में कैद किया। अगले तीन-चार महीने में जमीनी विवरण के आंकडे़ जुटाकर इस परियोजना के ट्रैक का एलाइनमेंट तय किया जाएगा। इस काम में 60 मेगापिक्सल कैमरों का उपयोग किया जा रहा है। दिल्ली से वाराणसी करीब 800 किमी तक का मुख्य गलियारा अयोध्या से भी जुड़ेगा। 

मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना में लिडार की तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल करने के बाद इसका प्रयोग अब इस रूट पर किया जा रहा है। इस तकनीक के साथ, उच्च गुणवत्ता वाले डेटा कम समय में डिजिटल रूप में प्रदान किया जाता है। जारी रिपोर्ट के अनुसार, लिडार प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का उपयोग सड़कों, भूतल परिवहन, नहरों, भूस्खलन, नगर नियोजन, सिंचाई से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं में भी किया जा सकता है।

हवाई सर्वेक्षण में प्रस्तावित योजना के आसपास के 300 मीटर क्षेत्र का सर्वे किया जा रहा है। इस माध्यम से संरचनाओं, स्टेशन, डिपो का स्थान, गलियारे के लिए भूमि की आवश्यकता, योजना के लिए प्रभावित भूखंडों की पहचान के लिए आंकड़ों को जुटाया जाएगा। इस क्षेत्र में भारतीय सर्वेक्षण विभाग दिल्ली-वाराणसी नेशनल हाई स्पीड कॉरिडोर पर विमान को उड़ाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की विस्तृत योजना रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है।

अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए विस्तृत योजना रिपोर्ट पिछले साल रेल मंत्रालय को सौंप दी गई है। दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की प्रस्तावित योजना दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी और अयोध्या जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ेगी। हाई स्पीड रेल मार्ग उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के जेवर में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को भी जोड़ेगा।

हाईस्‍पीड रेल कॉरिडोर के लिए लिडार तकनीक के दिसंबर के पहले हफ्ते में मंजूरी मिली थी। इसके साथ ही अयोध्या, मथुरा और प्रयागराज को भी हाई-स्पीड रेल कनेक्टिविटी देने की तैयारी है। इस लिहाज से माना जा रहा है कि अब वाराणसी से अयोध्‍या होते हुए बुलेट ट्रेन को भी मंजूरी जल्‍द मिल सकती है। दरअसल लिडार प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का उपयोग करके सड़कों, भूतल परिवहन, नहरों, भूस्खलन के साथ ही नगर नियोजन और सिंचाई से संबंधित परियोजनाओं में उपयोग किया जा सकता है। 

प्रस्तावित दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का डीपीआर तैयार करने के लिए जमीनी सर्वे करने के साथ हेलीकॉप्टर पर लेजर इनेबल्ड इक्विपमेंट का इस्तेमाल करते हुए लिडार तकनीक का प्रयोग हो रहा है। सटीक सर्वेक्षण डेटा देने के लिए यह तकनीक उड़ान मापदंडों, लेजर डेटा, जीपीएस डेटा और वास्तविक तस्वीरों के संयोजन का उपयोग करती है। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर, ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज संरेखण, संरचनाओं, गलियारे के लिए भूमि की आवश्यकता, स्टेशनों और डिपो के स्थान, परियोजना से प्रभावित भूखंडों या संरचनाओं की पहचान का निर्णय लिया जाएगा।

प्रस्तावित दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में मिश्रित इलाके शामिल हैं। इनमें घनी आबादी वाले शहरी और ग्रामीण इलाके, हाईवे, सड़क, घाट, नदियां के साथ ग्रीन फील्ड भी शामिल हैं। नई दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर से दिल्ली का एनसीटी आगरा, मथुरा, लखनऊ, इटावा, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, भदोही और अयोध्या जैसे बड़े शहरों से जुड़ जाएगा। साथ ही दिल्ली-वाराणसी मुख्य हाई स्पीड कॉरिडोर को अब अयोध्या (फैजाबाद) से भी जोड़ा जाएगा और यह मार्ग जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को भी जोड़ेगा। जबकि वाराणसी का बाबतपुर एयरपोर्ट और अयोध्‍या में प्रस्‍तावित एयरपोर्ट भी भविष्‍य में इससे जुड़ सकेगा।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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