अफगानिस्तान में सैन्य मिशन चला चुके पश्चिमी देशों ने तो तालिबान राज में महिलाओं के अधिकारों के खत्म होने की चिंता जाहिर की है। इसी बीच, तालिबान ने राजधानी काबुल का जिम्मा अपने एक सहयोगी आतंकी गुट हक्कानी नेटवर्क को सौंपा है।
हक्कानी गुट का नाम वैसे तो कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है, लेकिन जिन तीन बड़ी घटनाओं में इसका सीधा हाथ रहा है, उनमें से दो घटनाएं भारतीय दूतावास पर बड़े आत्मघाती हमले से जुड़ी हैं। इतना ही नहीं, पाकिस्तान से सीधा संबंध होने की वजह से भी यह आतंकी संगठन अब भारत के लिए बड़ी चिंता का कारण बना है।
क्या है हक्कानी नेटवर्क?
हक्कानी नेटवर्क की शुरुआत अफगानिस्तान के जादरान पश्तून समुदाय से आने वाले जलालुद्दीन हक्कानी ने की थी। हक्कानी की पहचान पहली बार 1980 के दशक में मुजाहिद्दीनों के सोवियत सेना के खिलाफ लड़े जा रहे युद्ध के दौरान हुई थी। जलालुद्दीन तब अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के संपर्क में आया था। यहीं से हक्कानी नेटवर्क की शुरुआत हुई। बताया जाता है कि 1979 में सोवियत सेना के जाने के बाद इस संगठन ने अफगानिस्तान में गृहयुद्ध भी लड़ा।