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Thursday, June 26, 2025

जानिए मेडिकल ऑक्सीजन के बनने से लेकर अस्पताल तक पहुंचने की पूरी प्रक्रिया

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी को लेकर सरकार सख्त है। केंद्र के अलावा कई राज्यों की सरकारों ने भी ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। देश के किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी न हो, उसके लिए केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन के नए प्लांट को जल्द से जल्द खोले जाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा जिन-जिन प्लांट्स से वर्तमान में ऑक्सीजन बनती है, उन सभी को उत्पादन क्षमता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

ऐसे बनती है मेडिकल ऑक्सीजन

हवा में मौजूद ऑक्‍सीजन को फिल्‍टर करने के बाद मेडिकल ऑक्‍सीजन तैयार की जाती है। इस प्रोसेस को “क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रोसेस” कहा जाता है। इसके बाद कई चरणों में हवा को कंप्रेशन के जरिये मॉलीक्यूलर एडजॉर्बर से ट्रीट कराया जाता हैं, जिससे हवा में मौजूद पानी के कण, कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन अलग हो जाते हैं, इसके बाद कंप्रेस्‍ड हवा डिस्टिलेशन कॉलम में आती है। यहां इसे “प्लेट फिन हीट एक्सचेंजर एंड एक्सपेन्शन टर्बाइन प्रक्र‍िया” से ठंडा किया जाता हैं। इसके बाद 185 डिग्री सेंटीग्रेट पर इसे गर्म करके डिस्टिल्ड किया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि मरीजों को जो ऑक्सीजन दी जाती है, वह 98 प्रतिशत तक शुद्ध होती है। इस ऑक्सीजन में कोई अशुद्धि नहीं होती, जिस कारण मरीजों को इसे सांस के रूप में लेने में कोई तकलीफ नहीं होती।

प्लांट में होती है हवा से ऑक्सीजन अलग

ऑक्सीजन प्लांट में, हवा से ऑक्सीजन को अलग किया जाता है। इसके लिए एकल एयर सेपरेशन की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके तहत पहले हवा को कम्प्रेस किया जाता है और फिर फिल्टर करके उसमें से सारी अशुद्धियां निकाल दी जाती हैं। इसके बाद फिल्टर हुई हवा को ठंडा किया जाता है। फिर इस हवा को डिस्टिल किया जाता है ताकि ऑक्सीजन को बाकी गैसों से अलग किया जा सके, जिसके बाद ऑक्सीजन लिक्विड बन जाती है और इसी स्थिति में ही उसे इकट्ठा किया जाता है। फिलहाल वर्तमान में इसे एक पोर्टेबल मशीन के द्वारा हवा से ऑक्सीजन को अलग करके मरीज तक पहुंचाया जाता है।

कैप्सूलनुमा टैंकर से पहुंचती है अस्पताल

मेडिकल ऑक्सीजन को एक बड़े से कैप्सूलनुमा टैंकर में भरकर अस्पताल पहुंचाया जाता है। अस्पताल में इसे मरीजों तक पहुंच रहे पाइप्स से जोड़ दिया जाता है चूंकि हर अस्पताल में तो ये सुविधा होती नहीं है, इस वजह से अस्पतालों के लिए इस तरह के खास सिलेंडर बनाए जाते हैं। इन सिलेंडरों में ऑक्सीजन भरी जाती है और इनको सीधे मरीज के बिस्तर के पास तक पहुंचाया जाता है।

भारत में प्रतिदिन कितनी ऑक्सीजन बन रही है?

बीते 15 अप्रैल को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, “हम प्रतिदिन 7,500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहे हैं, जिसमें से 6,600 मीट्रिक टन राज्यों को चिकित्सा उद्देश्यों के लिए आवंटित किया जा रहा है।” इसके अलावा उद्योगों को दी जाने वाली ऑक्सीजन को प्रतिबंधित किया गया है ताकि अधिक से अधिक ऑक्सीजन चिकित्सकीय उपयोग के लिए उपलब्ध हो सके।”

अस्पताल ऑक्सीजन कैसे खरीदते हैं ?

इसके लिए दो तरह की प्रणाली है। बड़े, मध्यम और छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम में ऑनसाइट ऑक्सीजन जेनेरेशन प्लांट होते हैं और पाइपलाइन से वार्ड, आईसीयू, क्रिटिकल केयर यूनिट में उन्हें जोड़कर रखा जाता है। इसमें बिना रुकावट सप्लाई की जरूरत रहती है। दूसरे तरीके में अस्पताल तरल अवस्था में इसे कंपनियों से खरीदते हैं, जिसके लिए पाइपलाइन और नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है।

162 पीएसए प्लांटस को केंद्र सरकार दे चुकी है मंजूरी

सभी राज्यों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में स्थापना के लिए भारत सरकार द्वारा कुल 162 प्रेशर स्विंग सोर्सेशन (PSA) प्लांटस को स्वीकृति मिली है। यह प्लांट्स वर्तमान ऑक्सीजन उत्पादन में 154.19 MT की ऑक्सीजन क्षमता बढ़ाएंगे। 162 पीएसए ऑक्सीजन प्लांटस में से अभी तक 33 स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अलावा 59 प्लांटस अप्रैल के आखिर तक स्थापित किए जाएंगे। शेष बचे 80 प्लांटस मई के अंत तक स्थापित कर लिए जाएंगे। इन सभी प्लांटस पर कुल 201.58 करोड़ का होने वाला खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी।

ऐलनबरी इंडस्ट्रियल गैसेज लिमिटेड
नेशनल ऑक्सीजन लिमिटेड
भगवती ऑक्सीजन लिमिटेड
गगन गैसेज़ लिमिटेड
लिंडे इंडिया लिमिटेड
रीफेक्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड
आइनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स लिमिटेड

अस्पतालों में ये कम्पनियां कर रही हैं ऑक्सीजन सप्लाई.

1) टाटा स्टील 200-300 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन रोजोना तमाम अस्पतालों और राज्य सरकारों को भेज रही है।
2) महाराष्ट्र में जिंदल स्टील की तरफ से राज्य सरकार को रोजाना करीब 185 टन ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है।
3) जिंदल स्टील की तरफ से छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भी 50-100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन अस्पतालों को सप्लाई किया जा रहा है।
4) आर्सेलर मित्तल निप्पों स्टील 200 मीट्रिक टन तक लिक्विड ऑक्सीजन रोजाना अस्पतालों और राज्य सरकारों को सप्लाई कर रही है।
5) सेल ने अपने बोकारो, भिलाई, राउरकेला, दुर्गापुर, बरनपुर जैसे स्टील प्लांट्स से करीब 33,300 टन तक लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई की है।
6) रिलायंस भी गुजरात और महाराष्ट्र सरकार को ऑक्सीजन की सप्लाई कर रही है।

भारत में कौन-कौन बनाता है ऑक्सीजन

भारत में कई सारी कंपनियां हैं जो ऑक्सीजन गैस बनाती हैं। इस ऑक्सीजन का इस्तेमाल सिर्फ अस्पताल में मरीजों के लिए ही नहीं, बल्कि लौह, स्टील, पेट्रोलियम जैसे तमाम औधोगिक क्षेत्रों में भी होता है। भारत में ऑक्सीजन बनाने वाली कंपनियां ये हैं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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