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Thursday, September 19, 2024

जानिए भारत के ल‍िए क्यों खास है विश्‍व सतत विकास श‍िखर सम्मेलन 2021

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2021 का उद्घाटन करेंगे। यह सम्मेलन भारत के ल‍िए बेहद खास रहने वाला है। दरअसल, इस सम्मेलन के जरिए विश्व के तमाम देशों के साथ पर्यावरण संरक्षण को लेकर भारत की भी आगे की रूपरेखा तय होगी।

इस सम्मेलन का मुख्य विषय है “सबके लिए सुरक्षित और संरक्षित पर्यावरण और साझा भविष्य”। बताना चाहेंगे टेरी (TERI) द्वारा आयोजित यह 20वां शिखर सम्मेलन है जिसमें विश्व में सतत विकास को लेकर 2 दिन तक चर्चा होगी। दुनिया के अनेक देशों के प्रतिनिधियों के अलावा उद्योगपतियों, विद्वानों, जलवायु वैज्ञानिकों, युवाओं और सिविल सोसायटी के लोगों की सम्मेलन में बड़ी संख्या में भाग लेने की सम्भावना है। इस सम्मेलन में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर समेत गुयाना के राष्ट्रपति और पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे।

भारत जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर डटकर कर रहा काम

बीते पांच-छह वर्षों में भारत जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर दुनिया की तरफ से खासतौर से विकासशील देशों की तरफ से बड़ी लड़ाई लड़ने वाला देश ही नहीं बना है बल्कि एक उदाहरण भी पेश किया है कि स्वच्छ उर्जा में निवेश के जरिए पूरी तस्वीर को बदला जा सकता है। यहां पेरिस समझौता के अनुपालन की बात करें तो भारत दुनिया के उन बड़े देशों में से एक है जो बेहद तेजी से इस समझौते के कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहे हैं। इस लिहाज से भारत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। यह जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

सम्मेलन तय करेगा आने वाले वर्षों में भारत की रूपरेखा

आज शाम होने वाला विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन आने वाले वर्षों में भारत की रूपरेखा तय करेगा। इस कार्यक्रम में यह साफ होगा कि इस कार्यक्रम में वैश्विक स्तर पर भारत की किस तरह की साझेदारी रहने वाली है। इस दिशा में भारत की अब तक की यात्रा देखें तो यह न सिर्फ क्लाइमेट जस्टिस की बात करता है बल्कि साथ ही साथ अपने देश में स्वच्छा उर्जा, स्वच्छ ईंधन को बढ़ाने के लिए देश लगातार कदम उठा रहा है। यह दुनिया को भी प्रेरित करने वाला है।

नवीकरणीय उर्जा क्षेत्र में भारत विश्व में चौथे स्थान पर

नवीकरणीय उर्जा क्षेत्र में भारत विश्व में चौथे स्थान पर आता है। बता दें नवीकरणीय उर्जा के उत्पाद को करीब 136 फीसदी तक पहुंचा दिया गया है। नवीकरणीय उर्जा अभी करीब 136 गीगावॉट इसका उत्पादन होता है। साल 2022 तक इसे 220 गीगावॉट तक और 2030 तक 450 गीगावॉट तक पहुंचाने की योजना है।

वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड की बात

भारत केवल वन वर्ल्ड, वन सन और वन ग्रिड की ही बात नहीं कर रहा है बल्कि सौर उर्जा के उत्पादन को लेकर भी बहुत गंभीरता से कदम उठा रहा है। बीते 5 से 6 वर्षों में ही इसमें करीब 6 गुणा की वृद्धि हुई है। इसके साथ-साथ उज्जवला योजना के जरिए स्वच्छ उर्जा आम लोगों तक पहुंचाई जा रही है। इस योजना के विस्तार के माध्यम से आज दूरदराज के गांवों में रहने वाले गरीबों तक भी एलपीजी का कनेक्शन पहुंचा रहा है। वहीं एलईडी कार्यक्रम की बात करें तो इसके माध्यम से न सिर्फ लोगों का बिजली पर होने वाला खर्च बचाया जा रहा है बल्कि साथ ही साथ इससे पर्यावरण को भी फायदा मिल रहा है। भारत में ऐसे ही कई मोर्चों पर एक साथ काम जारी है।

भारत में लगातार हो रहा वन क्षेत्र का विस्तार

वनों का क्षेत्र भारत में लगातार बढ़ रहा है। इसके अलावा भारत में वन्य जीवों का भी संरक्षण बढ़ रहा है। एक साथ कई मोर्चों पर काम करके भारत ने एक अच्छा उदाहरण पेश किया है। ऐसे में आज शाम होने वाले कार्यक्रम में जब प्रधानमंत्री संदेश देंगे तो वह न सिर्फ भारत के लिए अहम होगा बल्कि पूरे विश्व के लिए काफी महत्वपूर्ण रहेगा।

पर्यावरण को लेकर वर्तमान में पैदा होने वाले खतरों से निपटने के लिए भारत उठा रहा कदम

भारत 130 करोड़ की आबादी के साथ इस तरह की व्यवस्था का निर्माण करने में जुटा है जिससे ग्रीन हाउस गैस का कम से कम उत्सर्जन हो और लोग नवीकरणीय उर्जा की ओर अग्रसर हो सकें। इसके लिए बीते पांच वर्षों में भारत में करीब ढाई करोड़ लोगों को बिजली का कनेक्शन प्रदान किया गया है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका के राष्ट्रपति से पर्यावरण के विषय पर चर्चा भी हुई। ऐसे में भारत ने पेरिस समझौते को लेकर जो गंभीरता दिखाई है वह दुनिया के लिए एक उदाहरण है। अब पर्यावरण संरक्षण को लेकर आगे की क्या रूपरेखा हो सकती है उसे लेकर आज के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जरूर बात कर सकते हैं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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