सत्तारूढ़ जदयू में जल्द कई और बदलाव दिखेंगे। ये बदलाव बूथ से लेकर राज्य कमेटी और राष्ट्रीय कमेटियों में भी होने के आसार हैं। बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के मद्देनजर दल ने पार्टी में ताजगी और नयापन लाने के मकसद से बदलाव की शुरुआत दिसम्बर में ही आरंभ कर दी थी। पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में आरसीपी सिंह की ताजपोशी हुई और हाल ही में हुई राज्य कार्यकारिणी में प्रदेश जदयू की कमान नए अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा को सौंपी गयी।
गौरतलब है कि जदयू को विधानसभा चुनाव में आशातीत सफलता नहीं मिली। 2005 के बाद उसे सबसे कम सीटें (महज 43) मिली हैं। परिणाम आने के बाद ही इसको लेकर शीर्ष स्तर पर मंथन जारी है। पराजित हुए सभी 72 उम्मीदवारों से फीडबैक लिया जा चुका है। प्रदेश संगठन ने जिला संगठन से भी रिपोर्ट ली है। तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने भी फीडबैक लिया। प्रत्याशियों ने नीतीश कुमार के समक्ष भी हार के कारणों को रखा है। बशिष्ठ नारायण सिंह दो दिन पूर्व (मंगलवार को) भी चुनाव फीडबैक के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संग बैठे थे। दोनों शीर्ष नेताओं की एक और बैठक जल्द होनी है। चुनाव में हर स्तर पर नेताओं की रिपोर्ट बशिष्ठ नारायण सिंह और प्रदेश संगठन के पास है। कहां कौन सुस्त रहे, कहां किसने बढ़िया काम किया, किसने दगा दिया। गाज गिराने और पुरस्कृत करने, दोनों ही प्रकार की कार्रवाई संगठन के पुनर्गठन में साफ नजर आएगी।
जदयू की मंशा संगठन को नए तेवर और उत्साह के साथ फिर से खड़ा करने की है। अपने आधार वोट लव-कुश को दल में सम्मान देने के बाद दिलेश्वर कामत को राज्य संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर अतिपिछड़ा समाज को भी तवज्जो दी गई। अब बारी सर्वसमाज को साधने तथा भविष्य की राजनीति के तहत नई पीढ़ी के नेताओं को जिम्मा देने की है। नए प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने इस बाबत कहा कि हर स्तर पर संगठन की कमेटियों में युवाओं-नौजवानों को तरजीह दी जाएगी, ताकि पार्टी ऊर्जा से लबरेज रहे। उन्होंने कहा कि वरीय नेताओं से विमर्श के बाद वे अपनी कमेटी का विस्तार करेंगे।
वहीं, आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के बाद राष्ट्रीय कमेटी के भी जल्द ही पुनर्गठित होने की उम्मीद जदयू नेताओं को है। माना यह भी जा रहा है कि सबको साथ लेकर चलने का उद्घोष करने वाला यह दल सवर्णों को भी कुछ मुख्य मोर्चे पर लगा सकता है।