N/A
Total Visitor
29.6 C
Delhi
Tuesday, June 24, 2025

चैत्र नवरात्र का आरम्भ आज से

चैत्र नवरात्रि या वासन्तिक नवरात्र का आरम्भ 13 अप्रैल से हो रहे हैं और 21 अप्रैल तक चलेंगे। नवरात्रों का यह त्योहार हमारे भारतवर्ष में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसका जिक्र पुराणों में भी अच्छे से मिलता है। वैसे तो पुराणों में एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्रों का जिक्र किया गया है, लेकिन चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रों को ही प्रमुखता से मनाया जाता है। बाकी दो नवरात्रों को तंत्र-मंत्र की साधना हेतु करने का विधान है। इसलिए इनका आम लोगों के जीवन में कोई महत्व नहीं है। महाशक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा की संज्ञा दी गई है।

कलश स्थापना कब की जायेगी, उसका सही मुहुर्त क्या है, साथ ही कलश स्थापना की सही विधि क्या है।जानें किस दिन पड़ रहा कौन सी देवी का दिन13 अप्रैल, मंगलवार: चैत्र नवरात्रि प्रारंभ,घटस्थापना

14 अप्रैल, बुधवार: चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

15 अप्रैल, गुरुवार: चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा पूजा

16 अप्रैल, शुक्रवार: चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन- मां कुष्मांडा पूजा

17 अप्रैल, शनिवार: चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन- मां स्कन्दमाता पूजा

18 अप्रैल, रविवार: चैत्र नवरात्रि का छठा दिन- मां कात्यायनी पूजा

19 अप्रैल, सोमवार: चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन- मां कालरात्रि पूजा

20 अप्रैल, मंगलवार: चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन- मां महागौरी की पूजा, दुर्गा अष्टमी, महाष्टमी

21 अप्रैल, बुधवार: राम नवमी, भगवान राम का जन्म दिवस।22 अप्रैल, गुरुवार: चैत्र नवरात्रि पारण

कलश स्थापना मुहूर्त

अभिजित मुहूर्त :- सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तकमेष लग्न चर लग्न) :- सुबह 6 बजकर 02 मिनट से 7 बजकर 38 मिनट तकवृषभ लग्न स्थिर लग्न) :- सुबह 7 बजकर 38 मिनट से 9 बजकर 34 मिनट तकसिंह लग्न स्थिर लग्न) :- दोपहर 2 बजकर 7 मिनट से 4 बजकर 25 मिनट तक

ऐसे करें कलश स्थापना

उत्तर-पूर्व कोने में जल छिड़क कर साफ मिट्टी या बालू रखनी चाहिए। उस साफ मिट्टी या बालू पर जौ की परत बिछानी चाहिए। उसके ऊपर पुनः साफ मिट्टी या बालू की साफ परत बिछानी चाहिए और उसका जलावशोषण करना चाहिए। जलावशोषण यानि उसके ऊपर जल छिड़कना चाहिए। फिर उसके ऊपर मिट्टी या धातु के कलश की स्थापना करनी चाहिए और अब कलश को गले तक साफ, शुद्ध जल से भरना चाहिए और उस कलश में एक सिक्का डालना चाहिए। अगर संभव हो तो कलश के जल में पवित्र नदियों का जल जरूर मिलाना चाहिए। इसके बाद कलश के मुख पर अपना दाहिना हाथ रखकर इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है

गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति!
नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।’

साथ ही वरूण देवता का भी आह्वाहन करना चाहिए कि वो उस कलश में अपना स्थान ग्रहण करें। इसके बाद कलश के मुख पर कलावा बांधकर ढक्कन या मिट्टी की कटोरी से कलश को ढक देना चाहिए। अब ऊपर ढकी गयी कटोरी में जौ अथवा चावल भर लें। इसके बाद एक जटा वाला नारियल लेकर उसे लाल कपड़े से लपेटकर उसके ऊपर कलावा बांधें, इस प्रकार बंधे हुए नारियल को जौ या चावल से भरी हुई कटोरी के ऊपर स्थापित करें। ध्यान रहे कलश के ऊपर रखी गयी कटोरी में घी का दीपक जलाना उचित नहीं है। कलश का स्थान पूजा के उत्तर-पूर्व कोने में होता है जबकि दीपक का स्थान दक्षिण-पूर्व कोने में होता है।

ध्यान रहे कि कलश स्थपना कि सारी विधि नवार्ण मंत्र पढ़ते हुए करनी चाहिए। नवार्ण मंत्र है- ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे’।

नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बड़ा ही फलदायी बताया गया है। जो व्यक्ति दुर्गासप्तशती का पाठ करता है, वह हर प्रकार के भय, बाधा, चिंता और शत्रु आदि से छुटकारा पाता है। साथ ही उसे हर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होती है। अतः नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए।

ऐसे करें ध्वजारोपण

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार नवरात्र के पहले दिन ध्वजारोपण की भी परंपरा है। इस दिन अपने घर के दक्षिण-पूर्व कोने, यानि अग्नि कोण में पांच हाथ ऊंचे डंडे में, सवा दो हाथ की लाल रंग की ध्वजा लगानी चाहिए । ध्वजा लगाते समय सोम, दिगंबर कुमार और रूरू भैरव देवताओं कीउपासना करनी चाहिए और उनसे अपनी ध्वजा की रक्षा करने की प्रार्थना करनी चाहिए । साथ ही अपने घर की सुख-समृद्धि के लिये भी प्रार्थना करनी चाहिए । ये ध्वजा जीत की प्रतीक मानी जाती है। इसे घर पर लगाने से केतु के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं और साल भर घर का वास्तु भी अच्छा रहता है।ऐसे करें कलश स्थापना

उत्तर-पूर्व कोने में जल छिड़क कर साफ मिट्टी या बालू रखनी चाहिए। उस साफ मिट्टी या बालू पर जौ की परत बिछानी चाहिए। उसके ऊपर पुनः साफ मिट्टी या बालू की साफ परत बिछानी चाहिए और उसका जलावशोषण करना चाहिए। जलावशोषण यानि उसके ऊपर जल छिड़कना चाहिए। फिर उसके ऊपर मिट्टी या धातु के कलश की स्थापना करनी चाहिए और अब कलश को गले तक साफ, शुद्ध जल से भरना चाहिए और उस कलश में एक सिक्का डालना चाहिए। अगर संभव हो तो कलश के जल में पवित्र नदियों का जल जरूर मिलाना चाहिए। इसके बाद कलश के मुख पर अपना दाहिना हाथ रखकर इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र हैगंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति!नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।’साथ ही वरूण देवता का भी आह्वाहन करना चाहिए कि वो उस कलश में अपना स्थान ग्रहण करें। इसके बाद कलश के मुख पर कलावा बांधकर ढक्कन या मिट्टी की कटोरी से कलश को ढक देना चाहिए। अब ऊपर ढकी गयी कटोरी में जौ अथवा चावल भर लें। इसके बाद एक जटा वाला नारियल लेकर उसे लाल कपड़े से लपेटकर उसके ऊपर कलावा बांधें, इस प्रकार बंधे हुए नारियल को जौ या चावल से भरी हुई कटोरी के ऊपर स्थापित करें। ध्यान रहे कलश के ऊपर रखी गयी कटोरी में घी का दीपक जलाना उचित नहीं है। कलश का स्थान पूजा के उत्तर-पूर्व कोने में होता है जबकि दीपक का स्थान दक्षिण-पूर्व कोने में होता है।ध्यान रहे कि कलश स्थपना कि सारी विधि नवार्ण मंत्र पढ़ते हुए करनी चाहिए। नवार्ण मंत्र है- ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे’।नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बड़ा ही फलदायी बताया गया है। जो व्यक्ति दुर्गासप्तशती का पाठ करता है, वह हर प्रकार के भय, बाधा, चिंता और शत्रु आदि से छुटकारा पाता है। साथ ही उसे हर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होती है। अतः नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए।ऐसे करें ध्वजारोपणआचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार नवरात्र के पहले दिन ध्वजारोपण की भी परंपरा है। इस दिन अपने घर के दक्षिण-पूर्व कोने, यानि अग्नि कोण में पांच हाथ ऊंचे डंडे में, सवा दो हाथ की लाल रंग की ध्वजा लगानी चाहिए । ध्वजा लगाते समय सोम, दिगंबर कुमार और रूरू भैरव देवताओं कीउपासना करनी चाहिए और उनसे अपनी ध्वजा की रक्षा करने की प्रार्थना करनी चाहिए । साथ ही अपने घर की सुख-समृद्धि के लिये भी प्रार्थना करनी चाहिए । ये ध्वजा जीत की प्रतीक मानी जाती है। इसे घर पर लगाने से केतु के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं और साल भर घर का वास्तु भी अच्छा रहता है।

newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »