वाशिंगटन (एजेंसी)। चीन की आक्रामक नीति पर चिंता जताते हुए अमेरिका ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर वह भारत के साथ खड़ा होगा। अमेरिका ने हांगकांग, ताइवान, दक्षिण चीन सागर और भारतीय सीमा पर चीन की आक्रामक नीति पर चिंता जताई है। व्हाइट हाउस के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों को वास्तव में मजबूत किया। इसका आकार बढ़ा और यह परस्पर फायदे वाले सहयोग के तौर पर विकसित हुए। पूरे विश्व में चीन जिस तरह की आक्रामकता दिखा रहा है, वह चिंताजनक है। भारतीय सीमा पर बने सैन्य गतिरोध पर यदि स्थिति बिगड़ती है तो अमेरिका भारत के साथ खड़ा होगा। सात महीने से पूर्वी लद्दाख में बनी गतिरोध की स्थिति में अमेरिका भारत के संपर्क में है। उसने भारत को कई उपयोगी उपकरण उपलब्ध करवाए हैं। साथ ही भारत के प्रति नैतिक समर्थन भी व्यक्त किया है। मामले का यदि शांतिपूर्ण समाधान हो जाए तो वह सबसे अच्छा होगा।
व्हाइट हाउस ने चीन की आक्रामकता पर जताई चिंता
इस समय अमेरिका भारत के लिए रक्षा उपकरणों का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश है। दोनों देशों का रक्षा उपकरणों का कारोबार 20 अरब डॉलर (करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच चुका है। जबकि एक दशक पहले यह शून्य था। उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन ने मई में अतिक्रमण कर लिया था। उसे रोकने के लिए भारत ने भी अपनी सेना तैनात कर दी। भीषण ठंड और बर्फबारी के इस मौसम में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने डटे हुए हैं।
अमेरिका के थिक टैंक ‘यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और पाकिस्तान के बीच संबंध तेजी से मजबूत हुए हैं। उसका प्रभाव पाकिस्तान की सरकार, प्रशासन के साथ ही आर्थिक नीतियों पर भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है। चीन भारत और पाक के विवाद में भी पाकिस्तान की तरफदारी के लिए बराबर रुचि दिखा रहा है। विशेषतौर पर पिछले साल से चीन ने कश्मीर के मसले पर तटस्थता से आगे बढ़ते हुए पाकिस्तान को अपना समर्थन दोगुना बढ़ा दिया है। चीन भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष की स्थिति बनाकर भारत को ऐसी स्थिति में लाना चाहता है, जिसमें उसे दो तरफा संघर्ष की स्थिति बनी दिखाई दे। इस रणनीति से भारत के संसाधन से ध्यान बंटा रहेगा और भारत के लिए मुसीबतें खड़ी रहेंगीं।