प्रयागराज में वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार प्रशासन ने गुरुवार को संगम तीरे पूरे विधि-विधान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गंगा पूजनकर माघ मेले की औपचारिक शुरूआत कर दी। इस दौरान गंगा तट पर गंगा पूजन का भव्य नजारा देखने को मिला। इसी के साथ माघ मेला 2021 का शुभ मुहूर्त में गंगा पूजन के साथ श्रीगणेश भी हो गया।
पतितपावनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर गुरुवार दोपहर माघ मेला प्रशासन की तरफ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधिवत गंगा पूजा हुई। इस दौरान गंगा और त्रिवेणी की आरती भी उतारी गई। मेला प्रशासन से जुड़े अधिकारियों ने माघ मेला के निर्विघ्न संपन्न होने की मां गंगा से कामना भी की। साथ ही कोरोना महामारी की समाप्ति के लिए भी पूजा की गई। माघ मेला की तैयारियों के शुरू होने के बाद ही प्रशासन की ओर से गंगा पूजा का आयोजन किया जाता है।
कृष्ण पक्ष की दशमी पर प्रयागराज के जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी ने अपनी पत्नी मेघा गोस्वामी के साथ गंगा पूजा की। उनके साथ मेलाधिकारी विवेक चतुर्वेदी, वर्ष 2020 के माघ मेलाधिकारी रजनीश कुमार मिश्र तथा मेला सलाहकार समिति के सदस्यों ने त्रिवेणी तट पर पूजा-अर्चना की। पं. आचार्य बालकृष्ण ने षोडसोपचार पूजन कराया। मां गंगा का दुग्धाभिषेक हुआ। दही, मधु, भोग, पंचामृत, भोग, गंध, अच्छत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, पुंगी फल भी गंगा में अर्पित किया गया।
लगभग एक घंटे तक हुए विधिवत पूजा में तमाम संत-महात्मा और धर्माचार्य भी शामिल हुए। इसके अलावा अन्य तमाम प्रशासनिक अफसर भी मां गंगा का पूजन करने पहुंचे। यहां माघ मेले को निॢवघ्न सम्पन्न कराने के लिए मनौती भी मांगी गई। साथ ही जिला प्रशासन ने कोरोना से मुक्ति की भी मां गंगा से कामना की। इसके पूर्व पुलिस की ओर से मां गंगा का पूजन कर चुका है। इस मौके पर मंडलायुक्त आर.रमेश कुमार भी मौजूद रहे।
प्रमुख संतों ने जताई नाराजगी : माघ मेला प्रशासन ने गंगा पूजन में प्रमुख संतों को आमंत्रण नहीं भेजा। सनातन धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती व शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, प्रयागराज के प्रमुख संत टीकरमाफी आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी, गायत्री गंगा चैरिटेबुल संस्थान के अध्यक्ष परमहंस प्रभाकर जी महाराज, खाकचौक व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महंत सीताराम दास को आमंत्रित नहीं किया गया। इन संतों व उनके शिष्य पूजन में शामिल नहीं हुए।
सबने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की है। स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य व माघ मेला प्रभारी ब्रह्मचारी श्रीधरानंद कहते हैं कि आमंत्रण आता तो वे पूजन में शामिल होते। लेकिन, प्रशासन ने हमें बुलाना जरूरी नहीं समझा। यह प्रशासन की मनमानी है। स्वामी हरिचैतन्य कहते हैं कि मेला प्रशासन ने गंगा पूजन की सूचना देना जरूरी नहीं समझा। इससे वे पूजन में शामिल नहीं हुए।
माघ मेला पूरे भारत में प्रसिद्ध : प्रयागराज में गंगा-यमुना के संगम स्थल पर लगने वाला माघ मेला पूरे भारत में प्रसिद्ध है। हिंदू पंचांग के अनुसार 14 जनवरी या 15 जनवरी को मकर संक्रांति के पावन अवसर के दिन माघ मेला आयोजित होता है। इस अवसर पर संगम स्थल पर स्नान करने का बहुत महत्व होता है। इलाहाबाद के माघ मेले की ख्याति पूरे विश्व में फैली हुई है और इसी के चलते इस मेले के दौरान संगम की रेतीली भूमि पर तंबुओं का एक शहर बस जाता है।