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Saturday, April 20, 2024

कौन हैं कामेश्वर चौपाल, अचानक उनका नाम बिहार के डिप्टी सीएम के लिए क्यों आ रहा है सामने?

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री की पद के लिए लगातार उम्मीदवारों की दावेदारी पेश की जा रही है। मुख्यमंत्री पद के लिए जहां नीतीश कुमार सबसे आगे हैं। वहीं उप मुख्यमंत्री पद के लिए भी अलग-अलग नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं।

इसी बीच बिहार में दलित भाजपा नेता कामेश्वर चौपाल का नाम भी सामने रहा है। हालांकि यह नाम थोड़ा चौकाने वाला है लेकिन कामेश्वर चौपाल भाजपा के पुराने दलित नेता हैं। उनका नाम राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़ा हुआ है। इससे बीजेपी का कोर हिंदुत्व वोट बैंक तो मजबूत होगा ही, वहीं इससे दलित लोगों के बीच भी बीजेपी की पैठ बढ़ सकती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि बीजेपी राम विलास पासवान की मौत से एक बड़े दलित नेता की खाली हुई जगह को भरने की कोशिश में है। मौजूदा समय में बिहार में मजबूत दलित चेहरे की कमी है और कामेश्वर चौपाल को आगे बढ़ाकर भारतीय जनता पार्टी दलितों के बीच सकारात्मक संदेश देने की कोशिश कर सकती है।

कामेश्वर चौपाल ने 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था, हालांकि तब वह हार गए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ सुपौल से चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन यहां भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी।

राम मंदिर शिलान्यास से क्या है संबंध?

आपको बता दें कि फरवरी 2020 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में बिहार से भाजपा नेता कामेश्वर चौपाल को भी शामिल किया गया था। रोटी के साथ राम का नारा देने वाले कामेश्वर चौपाल ने ही 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर निर्माण के लिए हुए शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखी थी। उस समय वह पूरे देश में चर्चा के केंद्र में थे। विहिप में बिहार के सह संगठन मंत्री होने के नाते कामेश्वर चौपाल भी आयोध्या में मौजूद थे। तब पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार धर्मगुरुओं ने कामेश्वर चौपाल को शिलान्यास के लिए पहली ईंट रखने को कहा। चौपाल इसके पहले तक अनजान थे। तब चौपाल ने बताया था कि हालांकि उन्हें यह पता था कि धर्मगुरुओं ने किसी दलित से ईंट रखवाने का निर्णय लिया है, लेकिन वे खुद होंगे, यह उनके लिए संयोग रहा। शिलान्यास के बाद से ही कामेश्वर चौपाल चौपाल का नाम पूरे देश में छा गया।   

1991 में भाजपा ने रोसड़ा सुरक्षित लोकसभा सीट से बनाया था उम्मीदवार 

शिलान्यास प्रकरण के बाद वे विधिवत भाजपा में शामिल होकर राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हो गए। कामेश्वर चौपाल की लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा ने साल 1991 में रोसड़ा सुरक्षित लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। हालांकि वे चुनाव हार गए थे। इसके बाद 1995 में वे बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़े पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। साल 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। 2014 तक वे विधान परिषद के सदस्य रहे। साल 2009 में हुए चुनाव में उन्होंने रोटी के साथ राम का नारा लगाया। 

वर्ष 2014 में भी सुपौल लोकसभा से लड़े थे चुनाव  

इसी बीच 2014 में पार्टी ने इन्हें सुपौल लोकसभा का उम्मीदवार बनाया। हालांकि वे अपने गृह जिले सुपौल में भी चुनाव हार गए लेकिन भाजपा उम्मीदवार के रूप में उन्होंने दो लाख 49 हजार वोट प्राप्त किया और तीसरा स्थान प्राप्त किया। 24 अप्रैल 1956 में जन्मे कामेश्वर चौपाल ने जेएन कॉलेज मधुबनी से स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद मिथिला विवि दरभंगा से 1985 में एमए की डिग्री ली।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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