केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के बीच गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा ने इन कानूनों के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव को पारित कर दिया। इन कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला बंगाल देश का छठा राज्य बन गया है।
इससे पहले पांच गैर भाजपा शासित राज्य- पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल और दिल्ली- ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किए हैं। हालांकि, प्रस्ताव पेश किए जाने के दौरान भाजपा के विधायकों ने विधानसभा में जमकर हंगामा किया और जय श्री राम के नारे भी लगाए।
हंगामे के बीच भाजपा के विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया, हालांकि इस प्रस्ताव पर लेफ्ट और कांग्रेस का पश्चिम बंगाल सरकार को समर्थन है। कृषि कानूनों की वापसी को लेकर प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि किसानों को गद्दार के तौर पर पेश किए जाने को स्वीकार नहीं करेंगे।
कोई किसानों को आतंकवादी नहीं कह सकता
बनर्जी ने कहा कि हम केंद्र सरकार से कानूनों को वापस लेने की मांग करते हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा हर आंदोलन को आतंकवादी गतिविधि मानती है। यह तीनों कानून पूरी तरह से किसान विरोधी हैं। हम आंदोलनकारी किसानों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी किसानों को आतंकवादी नहीं कह सकता।
कांग्रेस के साथ प्रस्ताव लाना चाहती थीं ममता
दरअसल, ममता बनर्जी चाहती थी कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव को कांग्रेस के साथ मिलकर लाया जाए, लेकिन ममता सरकार का यह प्रस्ताव फेल हो गया। दरअसल, कांग्रेस इसे नियम 185 के तहत लाना चाहती थीं। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री चटर्जी ने कहा कि वे इसी प्रस्ताव को नियम 185 के तहत लाना चाहते थे।