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Friday, June 27, 2025

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने लोगों को ब्लैक फंगस के संक्रमण से बचने और प्रबंधन को लेकर सलाह दी …

कोरोना वायरस को हरा चुके लोगों को ब्लैक फंगस या म्यूकरमायकोसिस तेजी से अपना शिकार बना रहा है. बीते कुछ दिनों में देश के कई हिस्सों में ब्लैक फंगस के कई मामले प्रकाश में आए है. इससे पीड़ित मरीज के आंखों पर इसका ज्यादा विपरीत प्रभाव सामने आ रहा है और उसके देखने की क्षमता खत्म हो जाती है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शुक्रवार को ट्विटर पर लोगों को इसके संक्रमण से बचने और प्रबंधन को लेकर सलाह दी है

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने चार स्लाइड के साथ एक ट्वीट करते हुए कहा है कि आमतौर पर म्यूकोर्मिकोसिस जिसे ब्लैकफंगस के नाम से जाना जाता है, हाल ही में कई कोविड-19 के मरीजों में देखा गया है. जागरूकता और शीघ्र निदान फंगस इंफेक्शन को फैलने से रोकने में मदद कर सकता है. पहली स्लाइड में म्यूकरमायकोसिस की परिभाषा को बताते हुए कहा गया है कि यह एक फंगल इन्फेक्शन है और मुख्य रूप से यह मेडिकल हेल्थ समस्याओं वाले लोगों को प्रभावित करता है. जिनमें पर्यावरण में रहने वाले संक्रमण से लड़ने की उनकी क्षमता को कम कर देता है.

दूसरी स्लाइड में बताया गया है कि कोई मरीज कैसे इससे संक्रमित होता है. इसके तहत, कोमोरबिडिटीज, वैरिकोनाजोल थेरेपी, अनियंत्रित डायबिटीज मेलिटस, स्टेरॉयड इम्यूनिटी बढ़ाने या लंबे समय तक आईसीयू में रहने वाले लोगों को फंगल संक्रमण होने का खतरा होता है. साथ ही अगली दो स्लाइड्स में म्यूकरमायकोसिस के संभावित लक्षणों, क्या करें और क्या नहीं करें की सूची दी गयी है.गौर हो कि देशभर में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के साथ ही इससे ठीक हो रहे कई मरीजों में ब्लैक फंगस की शिकायतें मिल रही है. कर्नाटक, ओडिशा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के कई मामलें प्रकाश में आए है. वहीं, मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज हो रही है.इस बीमारी से पीड़ित मरीज के नाक के ड्राई होने पर उसमें से खून बहना और सिरदर्द आम लक्षण हैं. वहीं, नर्म कोशिकाओं और हड्डी में घुसने पर इस इंफेक्शन के कारण स्किन पर काले धब्बे बनने लगते हैं. साथ ही आंखों में दर्द और सूजन, पलकों का फटना व धुंधला दिखना भी ब्लैक फंगस के संकेत हो सकते हैं. गंभीर होने पर मरीज की जान बचाने के लिए उसकी आंख को हटाना जरूरी हो जाता है. ऐसी स्थिति में पहुंचने पर मरीज की देखने की शक्ति को नहीं बचाया जा सकता.

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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