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Monday, September 16, 2024

किसान आंदोलन से उत्तर प्रदेश में भाजपा की दिक्कतें बढ़ने लगी

किसान आंदोलन का कोई हल न निकलता देख व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो रही खाप पंचायतों से भाजपा की दिक्कतें बढ़ने लगी हैं। राज्य में अप्रैल माह में पंचायत चुनाव है। साथ ही एक साल बाद विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का माहौल उसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। खासकर जाट समुदाय की नाराजगी, जो पिछले सालों में अधिकांशत: भाजपा के साथ खड़ा होता रहा है। 

किसान आंदोलन का फिलहाल कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। दोनों ही पक्ष सरकार व किसान संगठन अपने-अपने रुख पर अड़े हैं। भाजपा की दिक्कतें उस समय ज्यादा बढ़ीं, जब उत्तर प्रदेश सरकार ने गाजीपुर बार्डर खाली कराने का ऐलान किया और भारी पुलिस बल खड़ा कर दिया। बार्डर तो खाली नहीं हुआ लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका विरोध जरूर शुरू हो गया। खाप पंचायतों की एकजुटता भी बढ़ी और रालोद नेता चौधरी अजित सिंह भी सक्रिय हो गए। जाट समुदाय की नाराजगी बढ़ती देख भाजपा भी अब सक्रिय हो गई है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाजपा नेताओं ने अपना संपर्क गांव-गांव तक बढ़ा दिया है। सूत्रों के अनुसार, स्थानीय स्तर पर सह संगठन मंत्री कर्मवीर, पंकज सिंह व अन्य नेता लोगों को समझा रहे हैं कि यह सरकार किसानों के खिलाफ नहीं है। वह किसान कानूनों को लेकर भ्रम भी दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदेश सरकार के मंत्री भी लोगों के बीच जाकर चौपालों पर लोगों से संवाद कर समझाने की कोशिश करेंगे। 

भाजपा की चिंता आगामी पंचायत चुनावों को लेकर ज्यादा है, जिसमें मौजूदा हालात को लेकर नुकसान हो सकता है। भाजपा के कई प्रमुख नेताओं जिनमें उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं, जिनको पश्चिम बंगाल चुनाव की भी जिम्मेदारी दी हुई है। वह चुनाव भी अप्रैल में ही होने हैं। ऐसे में भाजपा की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। साथ ही विरोधी दलों को अपनी जड़े जमाने का मौका मिल सकता है, जिसका असर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। 

गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 44 सीटें हैं जिनमें लगभग 20 सीटों पर जाट समुदाय हार जीत तय करता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को राज्य में 41 फीसद वोट मिले थे, जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसे लगभग 44 फीसद वोट मिले थे। साथ ही इसका असर उत्तराखंड पर भी पड़ सकता है। वहां पर भी उत्तर प्रदेश के साथ विधानसभा चुनाव होने हैं। 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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