किसान आंदोलन के कारण उद्योग ठप होने से 40 से ज्यादा देशों में सामान का निर्यात नहीं हो पा रहा है। कुंडली औद्योगिक क्षेत्र की फैक्टरी से बर्तन, स्वास्थ्य उपकरण, दवाई, एलईडी, प्लास्टिक उपकरण समेत अन्य सामान विदेशों में निर्यात होता है। किसान आंदोलन के कारण सामान फैक्टरी से बाहर नहीं निकल पाने के कारण निर्यात नहीं हो रहा है तो कच्चा माल भी नहीं आ रहा है।
ऐसे में उद्यमी भी फंस गए हैं और उनको कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। वह अपने देश के ग्राहकों को किसी तरह समझा रहे हैं, लेकिन अन्य देशों में समझाने में भी परेशानी हो रही है। इससे कई साल पुराने व्यापारिक रिश्ते भी दरकते दिख रहे हैं और इसका बड़ा नुकसान मल्टीनेशनल कंपनियों को होता दिख रहा है।
कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर किसान 15 दिन से नेशनल हाईवे 44 के सिंघु बॉर्डर पर धरना देकर बैठे हुए हैं। किसानों ने सिंघु बॉर्डर से लेकर हरियाणा की ओर डेरा डाला हुआ है और उससे कुंडली औद्योगिक क्षेत्र पूरी तरह से बंद हो गया है। इसके अलावा नाथूपुर सबौली का औद्योगिक क्षेत्र की आवाजाही भी बंद है। क्योंकि वहां से पहले नरेला होते हुए दिल्ली पहुंच रहे थे, लेकिन उसे भी बंद करा दिया गया है।
ऐसे में कुंडली व उससे लगते नाथूपुर सबौली औद्योगिक क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट बंद है और वहां से सामान के वाहन नहीं निकल रहे हैं तो वहां वाहन आते भी नहीं हैं। इससे केवल अपने ही देश में सामान की सप्लाई प्रभावित नहीं हुई है, बल्कि 40 से ज्यादा देशों में निर्यात थम गया है क्योंकि कुंडली व नाथूपुर सबौली औद्योगिक क्षेत्र से स्टील व अन्य धातुओं के उच्च स्तर के बर्तन, स्वास्थ्य उपकरण, दवाइयां, प्लास्टिक के उपकरण विदेशों में सप्लाई होते हैं जिनमें अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इस्राइल, यूके, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इटली, ग्रीस, वेनेजुएला, तुर्की, थाईलैंड, ताइवान, स्विट्जरलैंड, स्पेन, सिंगापुर, सऊदी अरब, न्यूजीलैंड, मलयेशिया, इटली, इंडोनेशिया आदि शामिल हैं। उद्यमियों के अनुसार इन सभी देशों में किसान आंदोलन के कारण सामान निर्यात नहीं हो रहा है और यह भी नहीं पता कि कब तक यह शुरू हो सकेगा।
आंदोलन से निर्यात नहीं होने की बात सुनकर विदेशी अचंभित
कुंडली औद्योगिक क्षेत्र एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष गुप्ता के अनुसार यहां से सामान का निर्यात बंद होने पर उद्यमी जब विदेश में बताते हैं कि किसान आंदोलन के कारण ऐसा हो रहा है तो वह इस बात को सुनकर चौंक जाते हैं। वह इस बात पर विश्वास ही नहीं करते हैं कि किसान आंदोलन के कारण भी फैक्टरी बंद हो सकती है। उद्योग चलने के बाद वह माल लेंगे या नहीं, इसपर भी अभी संशय है, क्योंकि जब माल सप्लाई करने की स्थिति में होंगे, इस बारे में तभी बातचीत होगी।
फैक्टरी में सामान रखने तक की जगह नहीं, पार्कों में रखना पड़ा
कुंडली औद्योगिक क्षेत्र की फैक्टरी में इस तरह के हालात हो गए हैं कि वहां सामान इतना ज्यादा बन गया है कि उसे अंदर रखने की जगह नहीं है। इसलिए उसको पार्क तक में रखवाना पड़ रहा है। पहले माल तैयार होकर जाता रहता था और उसी आधार पर बनता रहता था। लेकिन अब पहले से आए हुए कच्चे माल से सामान बनवा दिया गया है तो यहां से बना हुआ सामान सप्लाई नहीं हुआ है।
गांवों के रास्ते से नहीं निकल सकते कंटेनर
कुंडली औद्योगिक क्षेत्र के पास के गांवों से छोटे वाहन निकल सकते हैं, लेकिन विदेशों में निर्यात के लिए सामान कंटेनर में भरकर भेजना होता है। इसलिए उन गांवों से कंटेनर नहीं निकल सकते हैं। उद्यमी कहते हैं कि गांवों में कुछ जगह रास्ते टूटे हुए हैं तो वहां बिजली के तार काफी नीचे है। अगर उद्यमियों की प्रशासन कुछ मदद करे तो स्थिति कुछ सुधर सकती है।
कारोबारी बोले…
‘किसान आंदोलन के कारण काफी नुकसान हो रहा है और फैक्टरी मालिकों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। प्रशासन को उद्यमियों का सहयोग करना चाहिए, जिससे उन्हें इस समय कुछ राहत मिल सके। क्योंकि हमारे यहां से काफी देशों में सामान निर्यात होता है और उसपर भी बड़ा असर पड़ रहा है। इसलिए प्रशासन को कोई कदम उठाना होगा।
हमारी फैक्टरी में बनने वाले स्वास्थ्य उपकरण कैनुला, खून स्थानांतरण वाली ट्यूब, डिस्पोजेबल ट्यूब आदि 40 से ज्यादा देशों में निर्यात होते हैं। लेकिन किसान आंदोलन के कारण निर्यात पूरी तरह से बंद है और इस समय काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। जिनके ऑर्डर हैं, वह लगातार बात कर रहे हैं। अभी यह नहीं पता कि कब तक आंदोलन चलेगा और ऐसे में उनको कोई जवाब भी नहीं दिया जा रहा है।