धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की सूरत बदल रही है। कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में 87.13 फीसदी तक की कमी आई है। पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आने का बड़ा कारण अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर तक पहुंची विकास यात्रा है। अब यहां के निवासियों को केंद्र सरकार की योजनाओं और नीतियों का सीधा लाभ मिल पा रहा है। जिनमें वंचितों के लिए आरक्षण का अधिकार, सूचना और शिक्षा का अधिकार और अल्पसंख्यकों के अधिकार शामिल है।कश्मीर जहाँ कभी भी अहिंसक चुनाव नहीं हो पाए थे, उसी कश्मीर में हाल ही में हुए डीडीसी के चुनाव में एक भी हिंसक घटनाएं नहीं हुई।
स्वतंत्रता मिलने के इतने वर्षों के बाद भी कश्मीर के गांवों में बिजली नहीं थी। आज जम्मू-कश्मीर के 70 फीसदी गांवों में बिजली पहुंच चुकी है। कश्मीर में हो रहे लोक कल्याणकारी कार्यों के अलावा सुरक्षा बलों की कटिबद्धता के कारण भी पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है।
क्या कहते हैं आंकड़े
जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में किस तरह से कमी आई है, यह आंकड़ों के माध्यम से पता चल जाता है-
• जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2017 में पत्थरबाजी के 1412 मामले सामने आए थे।
• वर्ष 2018 में 1458 और 2019 में 1999 मामले सामने आए थे।
• वहीं, साल 2020 में 255 मामले ही सामने आए।
• साल 2016 से 2020 तक पत्थरबाजी की घटनाओं में 90 फीसदी तक की कमी आई है।
• बीते साल जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा की गई कार्रवाई में 255 आंतकवादी मारे गए थे।
• इनमें से कई व्यक्ति विभिन्न आंतकी संगठनों के टॉप कमांडर थे।
इस तरह जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों की कार्रवाई से भी पथराव और अन्य आंतकी घटनाओं में कमी आने लगी है।
सरकार के प्रयासों से बदल रहा है जीवन
अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही सरकार यह प्रयास कर रही है कि, जम्मू-कश्मीर की विकास यात्रा को किस तरह गति दी जाए और वहां के नागरिकों को पर्याप्त सुविधाएं और अवसर दिए जा सकें। इसी क्रम में निर्माण, शिक्षा, लघु उद्योग, सेब एवं केसर की खेती आदि क्षेत्रों को पर्याप्त प्रोत्साहन दिया जाना, स्थानीय युवकों को रोजगार और शिक्षा के समुचित अवसर उपलब्ध कराना, खिलाड़ियों को सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकताओं में सम्मिलित है। इसके परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।
वहीं, कुछ समय पूर्व ही जम्मू कश्मीर में डीडीसी के चुनाव में महिलाओं की अच्छी भागीदारी रही। दक्षिण कश्मीर के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग लोकतंत्र के महापर्व में सम्मिलित हुए। पूरे चुनाव के दौरान कहीं हिंसा नहीं हुई।
दीर्घकालिक परिणाम भी होंगे सुखद
जम्मू निवासी पत्रकार आदित्य कौल कहते हैं कि जिस कश्मीर घाटी में पहले हर दूसरे दिन पत्थरबाजी की घटनाएं होती थी वहीं वर्षभर में अब दो सौ मामले ही सामने आए हैं। अनुच्छेद 370 हटाकर सरकार ने अलगाववादी शक्तियों के इकोसिस्टम को खत्म करने और कश्मीर की उन्नति की दिशा में बड़ा कदम उठाया था। इसके तात्कालिक परिणाम तो दिखाई दे ही रहे हैं लेकिन दीर्घकालिक परिणाम भी सुखद होंगे।