वाराणसी, 24 जून 2025: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बकेवर थाना क्षेत्र के दांदरपुर गांव में कथावाचकों के साथ हुई मारपीट की घटना ने सियासी हलकों में हड़कंप मचा दिया है। इस मामले ने न केवल धार्मिक मर्यादाओं पर सवाल उठाए हैं, बल्कि जातीय राजनीति की आग को भी भड़काने की आशंका जता दी है। अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने इस प्रकरण पर कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
जाति पूछकर मारपीट गंभीर अपराध: स्वामी जितेंद्रानंद
स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा, “यदि कथावाचकों के साथ उनकी जाति पूछकर मारपीट की गई है, तो यह भारतीय संविधान के खिलाफ गंभीर अपराध है। दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए।” उन्होंने इस घटना को न केवल धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन बताया, बल्कि इसे एक संभावित राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा भी करार दिया।
‘कथावाचकों का नया पेशा’ पर उठाए सवाल
स्वामी जितेंद्रानंद ने कथावाचकों के उभरते ‘नए पेशे’ पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “कुछ लोग पहले बौद्ध कथा करते हैं, फिर भागवत कथा शुरू कर देते हैं। जब हिंदू समाज ने रैदास, कबीर और वाल्मीकि जैसे महापुरुषों को सम्मान दिया है, तो किसी यादव या जाटव को अपनी जाति या नाम छिपाने की क्या जरूरत?” उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदू समाज में गैर-ब्राह्मण कथावाचकों को हमेशा सम्मान मिला है और आज भी कई गैर-ब्राह्मण संत समाज में प्रतिष्ठित हैं। फिर भी, यदि कोई व्यक्ति मर्यादा तोड़ता है या समाज में भ्रम फैलाने की कोशिश करता है, तो उसकी जांच जरूरी है।
‘सपा की सक्रियता से सियासी साजिश की बू’
स्वामी जितेंद्रानंद ने इस घटना में समाजवादी पार्टी (सपा) की अचानक सक्रियता पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “कौशांबी में ब्राह्मण-पाल संघर्ष के दौरान भी सपा दोनों पक्षों में सक्रिय थी। अब इस मामले में भी कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के ट्वीट्स और सपा की गतिविधियां आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में जातीय तनाव भड़काने की साजिश की ओर इशारा करती हैं।”
CM योगी से निष्पक्ष जांच की मांग
स्वामी जितेंद्रानंद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस पूरे मामले की गहन और निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, “चाहे दोषी किसी भी जाति, वर्ग या राजनीतिक दल से हो, उसे बख्शा नहीं जाना चाहिए।” इस घटना ने जहां धार्मिक और सामाजिक मर्यादाओं पर बहस छेड़ दी है, वहीं यूपी की सियासत में भी नया तूफान खड़ा कर दिया है।
आगे क्या?
यह मामला अब जांच के दायरे में है। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि योगी सरकार इस प्रकरण में क्या कार्रवाई करती है और क्या यह घटना वाकई में सियासी साजिश का हिस्सा है। फिलहाल, इटावा से लेकर लखनऊ तक इस खबर ने हर तरफ सनसनी फैला दी है।