उत्तर प्रदेश के मान्यता प्राप्त और अनुदानित मदरसों के प्रबंधकों व संचालकों की मनमानी अब नहीं चलने वाली। प्रदेश सरकार इन मदरसों के संचालन के लिए नियमावली तैयार करवा रही है। इसके साथ ही उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद के अधीन ‘मानव सम्पदा’ पोर्टल भी विकसित किया जा रहा है। इस पोर्टल पर उक्त मदरसों के शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मियों का पूरा ब्यौरा उपलब्ध रहेगा। प्रदेश में कुल 560 मान्यता प्राप्त व अनुदानित मदरसे हैं और इनमें करीब नौ हजार शिक्षक तथा हजारों की तादाद में शिक्षणेत्तर कर्मचारी हैं।
यह जानकारी प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में दी। श्री रजा ने बताया कि उक्त सभी मदरसों में कार्यरत कार्मिकों का पूरा ब्यौरा जब मानव सम्पदा पोर्टल पर सार्वजनिक कर दिया जाएगा तो साफ हो जाएगा कि कौन सा शिक्षक किस मदरसे में कार्यरत है और उसकी शैक्षिक योग्यता क्या है। उन्होंने बताया कि अभी ऐसी भी शिकायतें आती हैं कि एक शिक्षक कई मदरसों में पढ़ा कर एक नहीं बल्कि कई मदरसों से वेतन प्राप्त कर रहे हैं। मानव सम्पदा पोर्टल पर सारी जानकारी सार्वजनिक हो जाने के बाद इस फर्जीवाड़े पर भी अंकुश लगेगा। उन्होंने कहा कि अभी तक यह सारी लिखा पढ़ी मैनुअली होने की वजह से ऐसे फर्जीवाड़े पकड़े नहीं जा पा रहे थे।
मोहसिन रजा ने बताया कि इस बारे में मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति जता दी है। उन्होंने बताया कि मदरसों के आलिम, फाजिल की योग्यता प्राप्त करने वालों को स्नातकोत्तर डिग्री के बराबर मान्यता दिये जाने पर भी विचार किया जा रहा है ताकि विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में उर्दू के प्रवक्ता व प्रोफेसर आदि के पदों पर ऐसे युवाओं को नौकरियां मिल सकें।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि राज्य अलपसंख्यक आयोग और राज्य हज कमेटी में चेयरमैन व कार्यकारिणी सदस्यों के खाली पदों पर जल्द ही मनोनयन कर दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि उ.प्र.सेण्ट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड और उ.प्र.शिया सेण्ट्रल वक्फ बोर्ड की सारी वक्फ सम्पत्तियों का विशेष आडिट भी करवाया जाएगा।