[9:11 PM, 11/13/2020] anita mam: दीपोत्सव के शुभ अवसर पर राम की नगरी अयोध्या में 24 घाटों पर इस बार 5 लाख 51 हजार से ज्यादा दीप जलाए जाएंगे। बता दें यह दीपोत्सव का चौथा संस्करण है और योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा इस बार भी भव्य दीपोत्सव मनाया जा रहा है। इस मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीराम जन्मभूमि परिसर में श्रीरामलला विराजमान के समक्ष पहला दिया जला कर दीपोत्सव का शुभारंभ किया।
2017 में शुरू हुआ यह दीपोत्सव इस बार नया रिकॉर्ड बनाएगा। इस उपलक्ष में अयोध्या में इस आयोजन को सफल बनाने के लिए भव्य तैयारी की गई है। अयोध्या की ऐतिहासिक धरती को राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सरकार ये सभी इंतजाम करती है।
दीपोत्सोव की खास तैयारी
दीपोत्सव-2020 के पर्व पर सरयू नदी की भव्य एवं दिव्य आरती की व्यवस्था की गई है। श्रीराम जन्मभूमि कनक भवन, राम की पैड़ी, हनुमानगढ़ी सहित सभी मंदिरों में बिजली की सजावट की गई है। इसी प्रकार पुलों, विद्युत पोल आदि पर बिजली की झालर लगायी गई हैं।
अयोध्या में राम की पौड़ी को लाखों दीयों से जगमगाया जाएगा
दीपोत्सव पर अयोध्या के सभी मठ, मंदिरों एवं घरों में दीप प्रज्वलन की ऐसी व्यवस्था की जाएगी। इस दौरान भगवान श्रीराम की नगरी दीपों के प्रकाश से पूरी तरह आलोकित हो जाएगी। खास तौर से राम की पौड़ी को लाखों दीयों से जगमगाया जाएगा। साथ ही मठ मंदिरों में भजन तथा रामायण पाठ का आयोजन किया जाएगा।
लोगों के लिए वर्चुअल दीपोत्सव की भी सुविधा की गई
दीपोत्सव के विहंगम दृश्य वर्चुअल तरीके से देखने की सुविधा की गई है। इस खास मौके पर अपना भगवान राम के मंदिर में दीप दान की विशेष व्यवस्था की गई है। लोग वर्चुअल तरीके से भगवान राम के लिए दीप दान कर पाएंगे।
आठ हजार वॉलंटियर्स ने लिया हिस्सा
सिर्फ इतना ही नहीं इस बार इस आयोजन में दिव्यांग व आठ हजार के करीब वॉलंटियर्स ने भाग लिया हैं। कोरोना संक्रमण काल से निकलकर एकबार फिर अयोध्या धार्मिक आस्था में डुबकी लगाने के लिए तैयार है।
आम जनता के जुटने के लिए नहीं होगा कार्यक्रम
स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम के आयोजन के सभी इंतजाम किए गए हैं। किसी प्रकार से आम जनता के जुटने के लिए दीपोत्सव कार्यक्रम नहीं होगा। यह केवल विशिष्टजनों जिनकी संख्या करीब एक हजार के है, केवल उनके लिए हैं लिए ही होगा। विशिष्टजनों में वहां के साधु-संत, महात्मा या जनप्रतिनिधी ही हिस्सा ले सकेंगे। रामकथा पार्क और सरयु नदी के आसपास के किनारे के क्षेत्रों में यातायात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
[9:12 PM, 11/13/2020] anita mam: इस दीपावली पटाखे से दूरी, सेहत के लिए जरूरी
कोविड-19 के दौर में पड़ने वाले त्योहार लोगों के लिए सुरक्षित बनाने का हरसंभव प्रयास सरकार के साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी किया जा रहा है। दीपावली पर पटाखे जलाने की सदियों पुरानी परंपरा को इस बार नजरंदाज करके ही समुदाय को सेहतमंद बनाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
दरअसल इस समय वायु प्रदूषण और नमी की जद में देश के अधिकतर शहर हैं। ऐसे में पटाखे का जहरीला धुआं उड़कर ऊपर न जाकर नीचे हमारे इर्द-गिर्द ही रहकर सांसों के साथ ही फेफड़ों को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए सांस लेने में तकलीफ पैदा करने वाले कोरोना के साथ ही अन्य कई बीमारियों से बचने के लिए भी इस बार पटाखों से दूरी बनाने में ही सभी की भलाई है।
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ
डॉ राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय महिला में तैनात डॉ.शिवाशीष उपाध्याय बताते हैं कि पटाखों से निकलने वाला धुआं वातावरण में नमी के चलते बहुत ऊपर नहीं जा पाता है। जिससे हमारे इर्द-गिर्द रहकर सांस लेने में परेशानी, खांसी आदि की समस्या पैदा करता है। दमे के रोगियों की शिकायत भी बढ़ जाती है। धुंए के कणों के सांस मार्ग और फेफड़ों में पहुंच जाने पर ब्रानकाइटिस और सीओपीडी की समस्या बढ़ सकती है।
यह धुआं सबसे अधिक त्वचा को प्रभावित करता है। जिससे एलर्जी, खुजली, दाने आदि निकल सकते हैं। पटाखे की चिंगारी से त्वचा जल सकती है। पटाखों से निकलने वाली तेज रोशनी आंखों को भी नुकसान पहुंचाती है। इससे आंखों में खुजली व दर्द हो सकता है। आंखें लाल हो सकती है। आंसू निकल सकते हैं। चिंगारी आंखों में जाने से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। पटाखों का तेज धमाका कानों पर भी असर डालता है। इससे कम सुनाई पड़ना या बहरापन की भी दिक्कत पैदा हो सकती है।
चन्द सेकेण्ड के धमाकों व तेज रोशनी हो सकते हैं घातक
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लखनऊ समेत प्रदेश के 13 अधिक प्रदूषण वाले जिलों में पटाखे जलाने पर रोक लगा रखी है। फर्रुखाबाद की सीएमओ डॉ वन्दना सिंह ने बताया कि दीपावली पर चन्द सेकेण्ड के धमाकों व तेज रोशनी के लिए की जाने वाली आतिशबाजी से निकलने वाले जहरीले धुएं में कई तरह के खतरनाक रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं। जो पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ ही शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके धुएं में मौजूद कैडमियम फेफड़ों में आक्सीजन की मात्रा को कम करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद सल्फर, कॉपर, बेरियम, लेड, अल्युमिनियम व कार्बन डाईआक्साइड आदि सीधे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। कोरोना ने सांस की तकलीफ वालों को ज्यादा प्रभावित किया है। इसलिए पटाखे का धुआं श्वसन तंत्र को प्रभावित कर कोरोना की गिरफ्त में न ले जाने पाए, उसके लिए इस बार पटाखे से दूर रहें।
इन जिलों में पटाखे की बिक्री व इस्तेमाल पर है रोक
प्रदेश के सर्वाधिक प्रदूषण की चपेट वाले जिलों में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) न्यायालय ने 30 नवंबर तक रोक लगा रखी है। इनमें शामिल हैं – लखनऊ, कानपुर, आगरा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, वाराणसी, हापुड़, गाजियाबाद, मुरादाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बागपत और बुलंदशहर।
सेनेटाइजर लगे हाथों न छुएं पटाखें
कोरोना काल में सेनेटाइजर लगे हाथों से पटाखे जलाना और यहां तक कि छूना भी मुसीबत में डाल सकता है। अल्कोहल युक्त सेनेटाइजर पटाखों में मौजूद बारूदों के संपर्क में आकर धमाका कर सकता है। इसलिए इस दीपावली पटाखों से वैसे दूर रहने की पूरी कोशिश कीजिये। यदि आतिशबाजी करते ही हैं तो जरूरी सावधानी का भी ख्याल रखें। आतिशबाजी के बाद नाक, मुंह व आँख को कदापि न छुएं। अच्छी तरह से साबुन-पानी से हाथ को धुलें।
अस्पतालों को भी किया गया अलर्ट
दीपावली पर अस्पतालों को भी अलर्ट किया गया है कि आतिशबाजी से किसी भी तरह की दुर्घटना होती है तो अस्पताल पहुंचने वालों की अच्छी तरह से देखभाल के लिए जरूरी इंतजाम पहले से कर लिए जाएं। आकस्मिक सेवाओं को भी सुचारू बनाए रखें क्योंकि हर साल दीपावली पर आतिशबाजी के कारण आग लगने की घटनाएँ आम हैं।इसके अलावा सांस या अन्य तकलीफ वाले लोग भी बढ़ जाते हैं।