आज 29 फरवरी को मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में तैयार आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। आम तौर पर हर बार आर्थिक सर्वे बजट के एक दिन पहले पेश किया जाता है। लेकिन इस बार बजट से दो दिन पहले वित्त वर्ष 2020-21 का आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) आज यानी शुक्रवार को संसद में पेश किया जाएगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन (Krishnamurthy Subramanian) के मार्गदर्शन में तैयार आर्थिक सर्वेक्षण होगा।
एक फरवरी 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार का तीसरा बजट पेश करेंगी। कोरोना के कारण निगेटिव ग्रोथ में चल रही अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह बजट ऐतिहासिक इसलिए होगा क्योंकि इस बार ये पेपरलेस होगा। बता दें बजट सरकार आगामी वित्त वर्ष के लिए पेश करती है, लेकिन इकोनॉमिक सर्वे मौजूदा वित्त वर्ष का लेखा-जोखा होता है। आइए समझते हैं कि आर्थिक सर्वेक्षण का क्या महत्व है और इसका बजट से क्या संबंध है…
क्या है आर्थिक सर्वेक्षण
आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था की सालाना आधिकारिक रिपोर्ट होती है। इस दस्तावेज को बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। इसमें भविष्य में बनाई जाने वाली योजानाओं और अर्थव्यवस्था में आने वाली चुनौतियों की सारी जानकारी दी जाती है। इस सर्वेक्षण में देश के आर्थिक विकास का अनुमान होता है। आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात की जानकारी दी जाती है कि आगामी वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी या फिर धीमी रहेगी। सर्वेक्षण के आधार पर ही सरकार द्वारा बजट में ऐलान किए जाते हैं, हालांकि इन सिफारिशों को मानने के लिए सरकार कानूनी तौर पर बाध्य नहीं होती है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2021 से क्या उम्मीदें हैं?
कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था पर काफी गहरी चोट मारी है। सर्वेक्षण से यह अनुमान लगाया जा सकेगा कि कोविड-19 प्रेरित मंदी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान हुआ है। सर्वेक्षण में वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों पर विचार करने और समाधानों की पेशकश करने की अपेक्षा की गई है, जो देश को 5 ट्रिलियन डॉलर लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करेगा। लोगों का मानना है कि आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर बजट तैयार होता है, लेकिन वास्तव में आर्थिक सर्वेक्षण बजट का मुख्य आधार है। इसमें प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार की राय शामिल होती है। ऐसा जरूरी नहीं कि आर्थिक सर्वेक्षण की बातें बजट में हों।