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Friday, April 19, 2024

इंटीरियर डिजाइनर खुदकुशी मामला: सुप्रीम कोर्ट से अर्नब गोस्वामी को जमानत, महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को 2018 के एक इंटीरियर डिजायनर और उनकी मां को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में पत्रकार अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों नितेश सारदा व फिरोज शेख को पचास-पचास हजार रुपए के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दे दी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वे रिहाई में देरी नहीं चाहते और जेल अधिकारियों को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपी सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे और जांच में सहयोग देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया जिसमें उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय के नौ नवंबर के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने उन्हें और दो अन्य आरोपियों को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुए कहा था कि इसमें हमारे असाधारण अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए कोई मामला नहीं बनता है और उन्हें राहत के लिए निचली अदालत जाना चाहिए।

अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ”हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक ऐसा मामला है जिसमें उच्च न्यायालय जमानत नहीं दे रहे हैं और वे लोगों की स्वतंत्रता, निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल हो रहे हैं।” न्यायालय ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या गोस्वामी को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की कोई जरूरत थी क्योंकि यह व्यक्तिगत आजादी से संबंधित मामला है। पीठ ने टिप्पणी की कि भारतीय लोकतंत्र असाधारण तरीके से लचीला है और महाराष्ट्र सरकार को इन सबको (टीवी पर अर्नब के ताने) नजरअंदाज करना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के 2018 के मामले में सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि इस तरह से किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं, तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय है। शीर्ष अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकारें कुछ लोगों को विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर निशाना बना रही हैं।

गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने उनके और चैनल के खिलाफ दर्ज तमाम मामलों का जिक्र किया और आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार उन्हें निशाना बना रही है। साल्वे ने कहा, ”यह सामान्य मामला नहीं था और सांविधानिक न्यायालय होने के नाते बंबई उच्च न्यायालय को इन घटनाओं का संज्ञान लेना चाहिए था। क्या यह ऐसा मामला है जिसमे अर्णब गोस्वामी को खतरनाक अपराधिकयों के साथ तलोजा जेल में रखा जाए।” उन्होंने कहा, ”मैं अनुरोध करूंगा कि यह मामला सीबीआई को सौंप दिया जाए और अगर वह दोषी हैं तो उन्हें सजा दीजिये। अगर व्यक्ति को अंतरिम जमानत दे दी जाए तो क्या होगा।

चार नवंबर को गिरफ्तार किए गए थे अर्नब गोस्वामी
गोस्वामी को चार नवंबर को मुंबई में उनके निवास से गिरफ्तार करके पड़ोसी जिले रायगढ़ के अलीबाग ले जाया गया था। उन्हें और दो अन्य आरोपियो को बाद में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया जिन्होंने आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजने से इंकार कर दिया था। अदालत ने तीनों को 18 नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। गोस्वामी को शुरू में अलीबाग जेल के लिए कोविड-19 पृथकवास केन्द्र के रूप में एक स्थानीय स्कूल परिसर में रखा गया था, लेकिन 8 नवंबर को उन्हें रायगढ़ जिले में स्थित तलोजा जेल भेज दिया गया क्योंकि उन पर न्यायिक हिरासत के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल का आरोप था।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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