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Sunday, February 23, 2025

आइये स्वचेतना के साथ मनाएं सड़क सुरक्षा सप्ताह ( 11 से 17 जनवरी )

जागरूकता एवं सावधानी से ही कर सकते हैं बचाव|

सड़क सुरक्षा सप्‍ताह (11-17 जनवरी)

देश भर में सड़क सुरक्षा सप्‍ताह का आयोजन हर साल 11 से 17 जनवरी के बीच किया जाता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा आयोजित होने वाले इस सप्‍ताह का उद्देश्‍य है लोगों को सड़क पर चलने के नियमों के बारे में जागरूक करना, ताकि सड़क पर कम से कम दुर्घटनाएं हों और लोगों की जान बच सके। यह एक ऐसा अभियान है, जो बिना जनभागीदारी के सफल नहीं हो सकता। जी हां सरकार द्वारा बनाये गए नियमों का पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी तब और बढ़ जाती है, जब हम सड़क दुर्घटनाओं और उनमें हुईं मौतों के आंकड़े देखते हैं।

कैसे मनाया जाता है सड़क सुरक्षा सप्‍ताह

देश भर के स्‍कूल, कॉलेज व शिक्षण संस्‍थानों, कार्यालयों, आरटीओ के दफ्तरों और तो और नुक्कड़ एवं चौराहों पर विभिन्‍न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर सड़क सुरक्षा सप्‍ताह मनाया जाता है। इसमें लोगों को सड़क सुरक्षा, वाहन चलाने के नियमों और वाहन चलाते वक्‍त बरती जाने वाली सावधानियों से अवगत कराया जाता है। इस जागरूकता अभियान के लिए सेफ्टी पोस्‍टर, बैनर, फिल्‍म, पॉकेट गाइडलाइंस, पैम्‍प्‍लेट, आदि के माध्‍यम से लोगों तक बात पहुंचायी जाती है। इस अभियान में मंत्रालय के साथ-साथ कई सारे गैर सरकारी संगठन भाग लेते हैं।

हर साल डेढ़ लाख लोगों की मौत

देश भर में हर साल करीब साढ़े चार लाख के ऊपर सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें करीब डेड़ लाख लोगों की मृत्‍यु हो जाती है। अगर बीते वर्षों की बात करें तो 2008 से लेकर 2018 तक सड़क दुर्घटनाओं और उनमें हुईं मौतों के आंकड़ें इस प्रकार हैं-

2008: 484,704 दुर्घटनाएं, 119,860 मौतें
2009: 486,384 दुर्घटनाएं, 125,660 मौतें
2010: 499,628 दुर्घटनाएं, 134,513 मौतें
2011: 497,686 दुर्घटनाएं, 142,485 मौतें
2012: 490,383 दुर्घटनाएं, 138,258 मौतें
2013: 486,476 दुर्घटनाएं, 137,572 मौतें
2014: 489,400 दुर्घटनाएं, 139,671 मौतें
2015: 501,423 दुर्घटनाएं, 146,133 मौतें
2016: 480,652 दुर्घटनाएं, 150,785 मौतें
2017: 464,910 दुर्घटनाएं, 147,913 मौतें
2018: 467,044 दुर्घटनाएं, 151,417 मौतें

दुर्घटनाओं के प्रमख कारण

लोकसभा में प्रस्‍तुत रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण ओवर स्‍पीडिंग है, यानी कि तेज़ गति से वाहन चलाना। 2018 में सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों मं 64.4 प्रतिशत लोग केवल ओवर स्‍पीडिंग का शिकार हुए। वहीं 5.8 प्रतिशत लोगों की मौत गलत दिशा में वाहन चलाने से हुई दुर्घटना के कारण हुई।

मोबाइल फोन पर बात करते-करते वाहन चलाना भी मौत का एक बड़ा कारण है। सरकार द्वारा प्रेषित 2018 के आंकड़ों के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं में 2.4 प्रतिशत लोगों की मृत्‍यु वाहन चालते वक्‍त मोबाइल पर बात करने से हुई। वहीं शराब पीकर वाहन चलाने वालों की बात करें तो 2.8 प्रतिशत लोग शराब के नशे में वाहन चलाने से मौत के काल में समा गए।

सभी जिलों में हैं रोड सेफ्टी कमेटी

सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में वृद्ध‍ि को देखते हुए केंद्र सरकार ने 2017 में प्रत्‍येक जिले में रोड सेफ्टी कमेटी के गठन के निर्देश जारी किए। इन कमेट‍ियों का गठन सड़क सुरक्षा पर संसदीय समिति की सलाह पर किया गया। प्रत्‍येक जिले में जिला कलेक्टर इस कमेटी के सदस्‍य सचिव होते हैं। नियम के तहत जिला कलेक्टर को प्रत्‍येक तिमाही में कम से कम एक बार कमेटी की बैठक करनी होती है और उस बैठक के प्रमुख बिंदु राज्‍य के पुलिस महानिदेशक एवं ट्रांसपोर्ट कमिश्‍नर को भेजने होते हैं।

जिला समिति को निम्न चीजों को सुनिश्चित कराना होता है:

• जिले में सड़क सुरक्षा गतिविधियों को मॉनीटर करना

• सड़क दुर्घटनाओं के डाटा को रिकॉर्ड एवं उनकी मॉनीटरिंग करना

• सड़क दुर्घटनाओं के कारणों का अध्‍ययन करना

• राष्‍ट्रीय एवं राज्य सड़क सुरक्षा परिषद को सुणव भेजना

• जिन स्‍थानों पर दुर्घटनाएं अधिक होती हैं, उन स्‍थानों को चिन्‍ह‍ित कर दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय करना

• सड़क सुरक्षा मानकों को लागू करवाना

• सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए सेफ्टी प्‍लान तैयार कर उन्‍हें लागू करना

• लोगों को सड़क सुरक्षा नियमों के बारे में जागरूक करना

• ट्रैफिक में स्‍पीड लिमिट की समीक्षा करना

• ऐसे लोगों को प्रोत्‍साहित करना, जो सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने में भागीदारी निभाते हैं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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