अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव में हार की वजह से जल्द ही व्हाइट हाउस से विदाई लेंगे। पूरे कार्यकाल में चीन के साथ कड़वाहट और टकराव रखने वाले ट्रंप जाते-जाते भी ड्रैगन को कई जख्म दे रहे हैं। सत्ता छोड़ने से ठीक पहले ट्रंप ने कई ऐसे फैसले लिए हैं जिनकी वजह से चीन को आगे भी काफी नुकसान हो सकता है। बुधवार को ही ट्रंप प्रशासन ने चाइनीज कॉम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों के लिए ट्रैवल वीजा पर रोक लगा दी तो सेना से संबंध रखने वाली कंपनी से कॉटन आयात को भी बंधुआ मंजदूरी का आरोप लगाकर बैन कर दिया गया।
इतना ही नहीं ट्रंप विदाई से पहले यूएस हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स से एक बिल पास करा सकते हैं, जिससे चाइनीज कंपनियों को अमेरिकी एक्सचेंज को बाहर निकाला जा सकता है। ऐसे में अटकलें लग रही हैं कि जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से पहले बचे सात सप्ताह में ट्रंप चीन को और कैसे-कैसे जख्म देंगे। हॉन्ग-कॉन्ग की स्वायत्तता को कम करने के आरोपी अधिकारियों और कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेताओं पर भी बैन लगाया जा सकता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ चाइन के अमेरिकन स्टडीज सेंटर के डायरेक्टर और चाइनीज सरकार के सलाहकार रेनमिन कहते हैं कि ट्रंप की ओर से उठाए जा रहे कदम बाइडेन के लिए मुश्किलें बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा, ”यह लगातार उकसावा है। बातचीत के लिए शुरुआती बिंदु बढ़ता रहता है। अमेरिकी पक्ष के लिए तनाव से पहले के दौर लौटने की संभावना कम है।”
बाइडेन के लिए इन कदमों को या तो चीन के खिलाफ फायदा पहुंचाने वाली स्थिति या संभावित रूप से उनके हाथ बांधने के रूप में देखा जा सकता है। लंबे समय तक सीनेटर रहे और पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसी सप्ताह न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि चीन के खिलाफ बड़े कदमों से पहले वह अमेरिका के सहयोगियों से राय-विचार लेंगे, जिसमें दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच जनवरी में फेज वन ट्रेड डील पर दोबारा काम करना शामिल है।
इस सप्ताह ट्रंप की ओर से उठाए गए कदम ट्रेड वॉर, जियोपॉलिटिकल कंप्टीशन और कोरोना महामारी की उत्पत्ति को लेकर आरोप-प्रत्यारोप की वजह से खराब चल रहे रिश्तों को और बिगाड़ सकते हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने नवंबर में कहा था कि चीन के खिलाफ अमेरिका की सख्ती खत्म नहीं हुई है। उन्होंने चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी को ‘मार्क्सवादी-लेनिनवादी राक्षस’ बताते हुए क्रूर और मानवीय स्वतंत्रता के लिए खिलाफ होने का आरोप लगाया था।
बुधवार को अमेरिकी संसद में उस कानून को पास किया गया जिससे यूएस अधिकारियों को चाइनीज कंपनियों के फाइनेंशल ऑडिट्स को जांचने की अनुमति मिल जाएगी। साथ ही कंपनियों को यह खुलासा करने की आवश्यकता होगी कि वे चाइनीज सरकार के नियंत्रण में हैं या नहीं। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्यॉरिटी ने यह भी कहा कि कस्टम अधिकारी चीनी सेना से जुड़ी कॉटन कंपनी के उत्पाद को लाने वाली जहाजों को जब्त कर लेंगे। यह कंपनी चीन की सबसे बड़ी कॉटन उत्पादक कंपनियों मं शामिल है।
नए वीजा नियमों के मुताबिक, कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य और उनके परिवार के लोगों को केवल सिंगल एंट्री वीजा दिया जाएगा, जोकि एक महीने तक ही वैध होगा। इससे पहले उन्हें मल्टीपल एंट्री विजिटर वीजा दिया जाता था और इसकी अवधि 10 साल तक होती थी।
अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने ईमेल से भेजे एक बयान में कहा, ”चाइना कम्युनिस्ट पार्टी और इसके सदस्य अमेरिका में प्रोपेगैंडा, आर्थिक दबाव और अन्य कुटिल हरकतों से अमेरिकी लोगों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। दशकों तक हमने सीसीपी सदस्यों को अमेरिकी संस्थाओं और कारोबारों में मुक्त और बेरोकटोक पहुंच दिया, जबकि इस तरह की सुविधाएं अमेरिकी नागरिकों को चीन में नहीं दी गईं।”
उधर, बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि उन्हें वीजा को लेकर उठाए गए कदमों की जानकारी नहीं है। हालांकि, अमेरिका से उन्होंने रुख बदलने की अपील की। गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, ”चीन अमेरिकी पक्ष के साथ आपत्ति जाहिर करता है और हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी लोग चीन के प्रति आम तर्कसंगत दृष्टिकोण अपनाएंगे और सीसीपी के प्रति अपनी घृणा और असामान्य मानसिकता को छोड़ देंगे।”