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Saturday, November 2, 2024

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री ने 14 जनवरी से जन सहभागिता अभियान शुरू किए जाने का ऐलान किया

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने 14 जनवरी से यानी मकर संक्रांति से जन सहभागिता अभियान शुरू किए जाने का ऐलान किया है। लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस को सम्‍बोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि इसके साथ ही देश भर में सम्‍पर्क अभियान चलाकर लोगों को श्रीराम जन्‍मभूमि के बारे में बताया जाएगा। 

उन्‍होंने बताया कि अयोध्‍या में राममंदिर निर्माण की तैयारियां जोरों पर हैं। लोगों को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की ऐतिहासिक सच्चाई से अवगत कराने के लिए देश के कोने-कोने में जाकर घर-घर संपर्क किया जाएगा। लोगों को श्रीराम जन्मभूमि के बारे में साहित्य भी दिया जाएगा। इसके साथ ही करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र भी पहुंचेगा। चंपत राय ने कहा कि 14 जनवरी से शुरू हो रहे अभियान से आमजन के स्वेच्छा से मंदिर निर्माण से जुड़ सकेंगे। अयोध्या में समाज के सहयोग से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण साकार होगा। उन्‍होंने कहा कि सहभागिता अभियान के तहत घर-घर जा के लोगों से सहयोग मांगने के कार्य के पीछे निहितार्थ यह है कि प्रभु श्री राम के काज से हर एक व्यक्ति को जुडऩे का सौभाग्य प्राप्त हो। 

चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर गौरव और अस्मिता का मंदिर है। देश गुलामी की निशानियों को हराना चाहता है। देश की आने वाली पीढ़ियां गुलामी की याद न देखें। यह कोशिश है। अभियान के तहत देश के करीब 50 करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य है। इस काम में करीब तीन से चार लाख कार्यकर्ता जुटेंगे। उन्‍होंने बताया कि मंदिर के वास्तु का दायित्व अहमदाबाद के चंद्रकान्त सोमपुरा जी पर है। वह वर्ष 1986 से जन्मभूमि मंदिर निर्माण की देखभाल कर रहे हैं। इसके साथ ही साथ लार्सन एंड टुब्रो कम्पनी को मंदिर निर्माण का कार्य दिया गया है, जबकि निर्माता कंपनी के सलाहकार के रूप में ट्रस्ट ने टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स को चुना है। संपूर्ण मंदिर पत्थरों से बनेगा। तीन मंजिला मंदिर में हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी, मंदिर की लंबाई 360 तथा चौड़ाई 235 फीट है। मंदिर का फर्श भूतल से 16.5 फीट ऊंचाई पर बनेगा।

भूतल से गर्भ गृह के शिखर की ऊंचाई 161 फीट होगी। इसकी मजबूती के लिए धरती के नीचे 200 फीट गहराई तक मृदा परीक्षण तथा भविष्य के सम्भावित भूकम्प के प्रभाव का अध्ययन हुआ है। जमीन के नीचे 200 फीट तक भुरभुरी बालू मिली है। गर्भगृह के पश्चिम में कुछ दूरी पर ही सरयू नदी का प्रवाह है। इस भौगोलिक परिस्थिति में 1000 वर्ष आयु वाले पत्थरों के मंदिर का भार सहन कर सकने वाली मजबूत व टिकाऊ नींव की ड्राइंग पर आईआईटी मुम्बई, दिल्ली, चेन्नई व गुवाहाटी की टीमों के साथ केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, लार्सन टूब्रो तथा टाटा के इंजीनियर तैयार कर रहे हैं।

उन्‍होंने बताया कि पूरा मंदिर पत्थरों से बनेगा। कुल 4 लाख क्यूबिक पत्थर लगेगा। चंपत राय ने कहा कि साल 1990 से ही मंदिर निर्माण की तैयारी थी। करीब 70 से 75 हजार क्यूबिक पत्थर पहले से रखा है। चंपत राय ने कहा कि श्रीराम मंदिर निर्माण भगवान का काम है। मंदिर भगवान का घर है। भगवान के कार्य में धन बाधा नहीं हो सकता। समाज का समर्पण कार्यकर्ता स्वीकार करेंगे। पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हमने दस रुपया, सौ रुपया तथा एक हजार रुपया के कूपन व रसीदें छापी हैं। समाज के लोग जैसा सहयोग देंगे, कार्यकर्ता उसी के अनुरूप कूपन या रसीद देंगे। 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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