धर्मनगरी अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर निर्माण में आधुनिक तकनीक के साथ-साथ परंपरागत तकनीक का भी प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, राम मंदिर निर्माण समिति और कार्यदायी संस्था के पदाधिकारी लगातार मंथन कर रहे हैं।
नृपेंद्र मिश्र ने निर्माण कार्यों की समीक्षा की
राम मंदिर निर्माण प्रक्रिया को रफ्तार देने और बुनियाद की खुदाई की समीक्षा करने गुरुवार को राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र अयोध्या पहुंचे। इस दौरान नृपेंद्र मिश्र ने राम जन्मभूमि परिसर में निर्माण कार्य का जायजा लेने के बाद शहर के सर्किट हाउस सभागार में निर्माण से जुड़े कार्यदायी संस्था एल एंड टी के इंजीनियरों, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में वर्तमान में कार्य की प्रगति और आगे की योजनाओं पर चर्चा की गई।धर्मनगरी अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर निर्माण में आधुनिक तकनीक के साथ-साथ परंपरागत तकनीक का भी प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, राम मंदिर निर्माण समिति और कार्यदायी संस्था के पदाधिकारी लगातार मंथन कर रहे हैं।नृपेंद्र मिश्र ने निर्माण कार्यों की समीक्षा कीराम मंदिर निर्माण प्रक्रिया को रफ्तार देने और बुनियाद की खुदाई की समीक्षा करने गुरुवार को राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र अयोध्या पहुंचे। इस दौरान नृपेंद्र मिश्र ने राम जन्मभूमि परिसर में निर्माण कार्य का जायजा लेने के बाद शहर के सर्किट हाउस सभागार में निर्माण से जुड़े कार्यदायी संस्था एल एंड टी के इंजीनियरों, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में वर्तमान में कार्य की प्रगति और आगे की योजनाओं पर चर्चा की गई।
पद्मभूषण डॉ. नागास्वामी और चेन्नई के एन सुब्रमण्यम से लिया जा रहा मार्गदर्शन
बैठक के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविन्द गिरी ने बताया कि अब तक मंदिर निर्माण में क्या प्रगति हुई है। आगे का निर्माण कार्य हमें किस दिशा में करना है। बैठक में इसी बात को लेकर मंथन किया गया।
उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण में जिस तरह से आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। उसी तरह से पारम्परिक विधि पर भी हम काम करने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर की बुनियाद से लेकर शिखर तक निर्माण कैसा हो, इसके लिए दो पारंपरिक विधि विशेषज्ञों का चयन किया गया है। पद्मभूषण डॉ. नागास्वामी और चेन्नई के एन सुब्रमण्यम का मार्गदर्शन लिया जा रहा है। इनके मार्गदर्शन में भी निर्माण कार्य पर चर्चा की गई है।पद्मभूषण डॉ. नागास्वामी और चेन्नई के एन सुब्रमण्यम से लिया जा रहा मार्गदर्शनबैठक के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविन्द गिरी ने बताया कि अब तक मंदिर निर्माण में क्या प्रगति हुई है। आगे का निर्माण कार्य हमें किस दिशा में करना है। बैठक में इसी बात को लेकर मंथन किया गया।उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण में जिस तरह से आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। उसी तरह से पारम्परिक विधि पर भी हम काम करने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर की बुनियाद से लेकर शिखर तक निर्माण कैसा हो, इसके लिए दो पारंपरिक विधि विशेषज्ञों का चयन किया गया है। पद्मभूषण डॉ. नागास्वामी और चेन्नई के एन सुब्रमण्यम का मार्गदर्शन लिया जा रहा है। इनके मार्गदर्शन में भी निर्माण कार्य पर चर्चा की गई है।
मंदिर के नींव का 60 प्रतिशत काम पूरा
वहीं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया कि मंदिर की बुनियाद के खुदाई का काम 60 फीसदी पूरा हो चुका है। करीब 12 मीटर गहराई तक कई स्थानों पर खुदाई पूरी हो चुकी है।मंदिर के नींव का 60 प्रतिशत काम पूरावहीं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया कि मंदिर की बुनियाद के खुदाई का काम 60 फीसदी पूरा हो चुका है। करीब 12 मीटर गहराई तक कई स्थानों पर खुदाई पूरी हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि खुदाई में नीचे मजबूत और अच्छी मिट्टी मिल रही है, जो कि अच्छे संकेत हैं। डॉ. अनिल मिश्रा ने यह भी बताया कि मार्च के अंतिम सप्ताह तक बुनियाद की खुदाई का काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद बुनियाद को भरने का काम शुरू किया जाएगा। बुनियाद भरने के लिए अधिकृत कंपनियों में एल एंड टी और उनके सहयोगियों द्वारा निर्धारित किए गए निर्माण सामग्री का प्रयोग किया जाएगा।उन्होंने बताया कि खुदाई में नीचे मजबूत और अच्छी मिट्टी मिल रही है, जो कि अच्छे संकेत हैं। डॉ. अनिल मिश्रा ने यह भी बताया कि मार्च के अंतिम सप्ताह तक बुनियाद की खुदाई का काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद बुनियाद को भरने का काम शुरू किया जाएगा। बुनियाद भरने के लिए अधिकृत कंपनियों में एल एंड टी और उनके सहयोगियों द्वारा निर्धारित किए गए निर्माण सामग्री का प्रयोग किया जाएगा।